ट्रंप की टैरिफ नीतियों पर नाराज अमेरिकी सांसद ने जताई चिंता, चेतावनी देते हुए कहा - 'इंडिया खोने का मतलब...'
एक अमेरिकी सांसद ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के प्रति नीतियां रणनीतिक भरोसे और आपसी समझ को असली और लंबे समय तक नुकसान पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को हुए नुकसान को कम करने के लिए वाशिंगटन को "अत्यधिक तेज़ी" से कदम उठाने चाहिए।
कैलिफ़ोर्निया की डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन सिंडी कामलेगर-डोव ने कहा, "...अगर ट्रंप अपनी नीतियां नहीं बदलते हैं, तो वह ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे जिन्होंने भारत को खो दिया। या, ज़्यादा सही कहें तो, वह ऐसे राष्ट्रपति होंगे जिन्होंने रूसी साम्राज्य को मज़बूत करते हुए भारत को नाराज़ किया। उन्होंने ट्रांसअटलांटिक गठबंधन को तोड़ दिया है और लैटिन अमेरिका को खतरे में डाल दिया है। यह ऐसी विरासत नहीं है जिस पर कोई राष्ट्रपति गर्व करे।"
उन्होंने आगे कहा, "जब इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी और उनमें बताया जाएगा कि भारत के प्रति ट्रंप की दुश्मनी कहाँ से शुरू हुई, तो वे एक ऐसी चीज़ की ओर इशारा करेंगी जिसका हमारे लंबे समय के रणनीतिक हितों से कोई लेना-देना नहीं है। यह नोबेल शांति पुरस्कार के प्रति उनका व्यक्तिगत जुनून है। हालांकि यह बेतुका लग सकता है, लेकिन इससे हो रहे नुकसान को हल्के में नहीं लिया जा सकता।"
ट्रंप ने कहा है कि दुनिया भर में संघर्षों को खत्म करने के लिए, जिसमें मई में भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष भी शामिल है, वह नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। कामलेगर-डोव हाउस फॉरेन अफेयर्स सब-कमेटी ऑन साउथ एंड सेंट्रल एशिया की एक बैठक में "यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप: सिक्योरिंग ए फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक" विषय पर बोल रही थीं।
कामलेगर-डोव ने भारत के प्रति ट्रंप की नीतियों की आलोचना की, जिसमें भारतीय सामानों पर दुनिया का सबसे ज़्यादा टैरिफ—50 प्रतिशत—लगाना और H1B वीज़ा पर $100,000 की फीस लगाना शामिल है। बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका में रहने और काम करने के लिए H1B वीज़ा का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप की नीतियों से "असली और लंबे समय तक नुकसान" हो रहा है और इस नुकसान को कम करने के लिए देश को "अत्यधिक तेज़ी" से कदम उठाने की ज़रूरत है।