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ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका की एंट्री से तनाव चरम पर, यूएन में ईरान ने दी खुली सैन्य चेतावन

 

पश्चिम एशिया में जारी ईरान और इजरायल के बीच युद्ध अब एक वैश्विक संकट का रूप लेता जा रहा है। ताज़ा घटनाक्रम में अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया, जिससे यह संघर्ष और भी उग्र हो गया है। इस अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र (UN) की आपातकालीन बैठक बुलाई और वहां अमेरिका को खुली धमकी दी है कि अब "जवाब देने का तरीका, समय और पैमाना सिर्फ ईरानी सेना तय करेगी।"

अमेरिका का हमला और ईरान की प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले तो यह संकेत दिया था कि वह ईरान पर हमला करने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन बिना किसी पूर्व चेतावनी के, अमेरिकी वायुसेना ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर एयरस्ट्राइक कर दी। इस हमले के तुरंत बाद ईरान ने यूएन सुरक्षा परिषद में आपात बैठक बुलाते हुए अमेरिका पर युद्ध भड़काने का आरोप लगाया। ईरान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत आमिर सईद इरावानी ने कहा,

"अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करके खुद को सीधे युद्ध में शामिल कर लिया है। अब ईरान की जवाबी कार्रवाई की जिम्मेदारी उसकी सशस्त्र सेनाएं तय करेंगी।" इरावानी ने अमेरिका पर "मनगढ़ंत और बेबुनियाद बहानों" से युद्ध छेड़ने का आरोप भी लगाया और कहा कि ईरान अब अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सैन्य विकल्पों को अपनाएगा।

अलजजीरा की रिपोर्ट में बड़ा दावा

मीडिया नेटवर्क अलजजीरा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि, "वह अमेरिकी आक्रमण और उसके इजरायली सहयोगी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत आत्मरक्षा का अधिकार सुरक्षित रखता है। इस बयान से स्पष्ट है कि ईरान अब केवल कूटनीतिक स्तर पर नहीं, बल्कि सैन्य रूप से भी जवाब देने के लिए तैयार है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की चेतावनी

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि, "ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिका के हमले से क्षेत्र में एक खतरनाक मोड़ आया है। यह पहले से ही संकटग्रस्त इलाका अब प्रतिशोध के विनाशकारी चक्र की ओर बढ़ सकता है। गुटेरेस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और तनाव कम करने की अपील की है। उनका मानना है कि इस तरह की सैन्य कार्रवाइयां पूरे विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

इस घटना के बाद पश्चिम एशिया में युद्ध का दायरा और गहराने की आशंका बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि ईरान अब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिकी ठिकानों या इजरायल पर जवाबी हमला कर सकता है, जिससे वैश्विक बाजारों, तेल आपूर्ति और सुरक्षा पर बड़ा असर पड़ सकता है। भारत समेत कई देश स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं, क्योंकि पश्चिम एशिया में अस्थिरता से उनकी अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है।