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‘अब पर्दे के पीछे नहीं, खुले मंच पर जवाब...' भारत ने अमेरिका को सुनाई खरी-खरी, क्या ठिकाने आएगा ट्रम्प का दिमाग 

 

अमेरिकी राष्ट्रपति पद की कमान दोबारा संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप का अहंकार अब उनके लिए महंगा साबित हो रहा है। भारत के नज़रिए से देखें तो वाशिंगटन से आ रहे बयानों पर नई दिल्ली ने अब तक एक तरह की चुप्पी साध रखी थी। भारत की यह चुप्पी कूटनीतिक शिष्टाचार तो थी, लेकिन टैरिफ बढ़ाने की धमकी असहनीय हो गई। यही वजह है कि सोमवार को भारत ने अमेरिका की पोल खोलकर दुनिया को बता दिया कि अमेरिका खुद उसी रूस के साथ व्यापार करता है जिससे उसे भारत के तेल खरीदने पर आपत्ति है।

ट्रंप दबाव की राजनीति कर रहे हैं

दरअसल, ट्रंप दबाव की राजनीति कर रहे हैं। ट्रंप व्यापार समझौते को लेकर पिछले दरवाजे से चल रही बातचीत को नज़रअंदाज़ कर रहे थे और मीडिया के सामने बयान दे रहे थे। भारत ने भी अब अमेरिका को उसी अंदाज़ में जवाब दिया है और मीडिया के सामने अमेरिका को झूठा साबित कर दिया है।

टैरिफ बढ़ाने की धमकी का करारा जवाब

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की धमकी का भारत ने करारा जवाब दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे तर्कहीन और अनुचित बताया। सोमवार को भारत ने ट्रंप को आईना दिखाया। उनकी धमकी को अनुचित और अतार्किक बताते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'अमेरिका अभी भी अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, रूस से उर्वरक और रसायन आयात करता है।'

अमेरिका के दोहरे मापदंड उजागर
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के दोहरे मापदंड उजागर करते हुए आंकड़ों के ज़रिए बताया कि यूरोपीय संघ और अमेरिका, मास्को के साथ व्यापार करते हैं और दूसरे देशों पर अनुचित प्रतिबंध लगा रहे हैं। फिर उन 6 बिंदुओं का ज़िक्र है जिनके आधार पर रणधीर जायसवाल ने भारत का रुख़ स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएगा। इसके लिए हमें निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है।