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Made in India फाइटर जेट बनेगा दुश्मनों का काल! राफेल से भी एडवांस सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल से होगा लैस, 200KM दूर से करेगा लॉक 

 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रविशंकर एसआर ने हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में तेजस एमके-2 लड़ाकू विमान को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि अगली पीढ़ी का लड़ाकू विमान तेजस एमके-2 आधुनिक तकनीक और हथियार प्रणालियों से लैस होगा, जो इसे फ्रांसीसी रक्षा कंपनी डसॉल्ट द्वारा विकसित राफेल लड़ाकू विमान का प्रतिद्वंदी बनाएगा। कुछ रक्षा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि तेजस एमके-2 कई मायनों में राफेल मल्टीरोल विमान से ज्यादा आधुनिक और घातक होगा। तकनीकी मानकों के आधार पर देखा जाए तो यह दावा सही प्रतीत होता है।

रडार से लेकर विंग फ्रेम, वजन, पेलोड क्षमता, मिसाइल इंटीग्रेशन और टारगेट डिटेक्शन के मामले में तेजस एमके-2 लड़ाकू विमान राफेल से बेहतर नजर आ रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि तेजस एमके-2 जेट को स्वदेशी तकनीक से विकसित किया जा रहा है। इस तरह यह राफेल से काफी किफायती भी है। साथ ही, देश में विकसित हथियारों और मिसाइलों को इसके साथ इंटीग्रेट करने में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी। आपको बता दें कि दूसरे देशों से खरीदे गए लड़ाकू विमानों में स्वदेशी हथियार लगाने में काफी दिक्कतें आती हैं। सोर्स कोड साझा न करने की वजह से भी कई तरह की दिक्कतें आती हैं। हाल ही में इसका एक नमूना तब देखने को मिला जब केरल में एक ब्रिटिश F-35 लड़ाकू विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। ब्रिटेन ने इसे अमेरिका से खरीदा है। तमाम कोशिशों के बावजूद ब्रिटिश इंजीनियर इस लड़ाकू विमान को ठीक नहीं कर पाए। अब इसे टुकड़ों में वापस ले जाने की तैयारी की जा रही है। F-35 लड़ाकू विमान में आई इस समस्या ने एक बार फिर आयातित लड़ाकू विमानों की समस्या को दुनिया के सामने ला दिया है। ऐसे में भारत के लिए स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित करना ज़रूरी हो गया है।

तेजस Mk-2 लड़ाकू विमान, भारत की तकनीकी ताकत
तेजस Mk-2 अगली पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। यह तेजस Mk-1A का उन्नत संस्करण है। इंजन और रडार सिस्टम के मामले में तेजस Mk-2 जेट पिछले तेजस विमानों से कहीं आगे है। इसे भारतीय वायुसेना की ज़रूरतों के हिसाब से विकसित किया जा रहा है, ताकि आने वाले सालों में यह जगुआर और मिराज-200 जैसे लड़ाकू विमानों के बेड़े की जगह ले सके। स्वाभाविक रूप से, यह जगुआर और मिराज-2000 जैसे जेट विमानों की तुलना में कहीं अधिक उन्नत और उन्नत है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और DRDO तेजस Mk-2 को इस तरह विकसित कर रहे हैं कि यह वायुसेना की आधुनिक और बहुउद्देशीय ज़रूरतों को पूरा कर सके। ऐसे में, इस लड़ाकू विमान में कई ऐसी तकनीकें जोड़ी गई हैं, जो इसे तेजस Mk-1A से ज़्यादा शक्तिशाली और उन्नत बनाती हैं।

कम वज़न, शक्तिशाली इंजन
रिपोर्ट्स की मानें तो तेजस Mk-2 वज़न और इंजन के मामले में मौजूदा राफेल लड़ाकू विमान से कहीं ज़्यादा उन्नत होगा। तेजस Mk-2 में अमेरिकी जेट इंजन निर्माता कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा विकसित F414-INS6 का इस्तेमाल किया गया है। यह इंजन 98 kN (किलो न्यूटन) का थ्रस्ट देने में सक्षम है। आपको बता दें कि एक जेट इंजन जितना ज़्यादा थ्रस्ट उत्पन्न करता है, उस विमान की गति उतनी ही ज़्यादा होती है। तेजस Mk-1A में 80 से 85 kN थ्रस्ट उत्पन्न करने वाला इंजन लगा है। वहीं, राफेल जेट में दो सफ्रान M88 इंजन इस्तेमाल किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, सफ्रान M88 इंजन जेट को 75 kN थ्रस्ट देने में सक्षम है। वज़न की बात करें तो हल्के एयरफ्रेम वाले तेजस Mk-2 जेट का वज़न 13.5 टन (13,500 किलोग्राम) है। वहीं, राफेल लड़ाकू विमान का वज़न 15.3 टन यानी 15,300 किलोग्राम है। कम वज़न के कारण तेजस Mk-2 दुश्मनों पर ज़्यादा तेज़ी से हमला कर सकता है।

हथियार प्रणाली और युद्धक रेंज

हथियार प्रणाली और युद्धक रेंज के मामले में, तेजस Mk-2 जेट, डसॉल्ट द्वारा विकसित राफेल लड़ाकू विमान से ज़्यादा उन्नत होने वाला है। दुनिया की सबसे खतरनाक और मारक मिसाइलों में गिनी जाने वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को फिलहाल राफेल जेट में फिट नहीं किया जा सकता है। इसी समस्या के चलते ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सुखोई-30एमकेआई से ब्रह्मोस मिसाइल को पाकिस्तान पर दागना पड़ा था। अगर राफेल इसमें सक्षम होता तो दुश्मन के सीने पर और गहरे घाव दिए जा सकते थे। वहीं, तेजस एमके-2 में अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल को इंटीग्रेट करना आसान होगा। इसके अलावा देसी महाबली फाइटर जेट में घातक अस्त्र एमके-2 मिसाइल को भी लगाया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, तेजस एमके-2 6,500 किलोग्राम पेलोड के साथ उड़ान भर सकेगा। तेजस एमके-2 की युद्धक रेंज 2500 किलोमीटर होगी। ऐसे में चीन और पाकिस्तान को पूरा और प्रभावी जवाब देना संभव हो सकेगा। राफेल जेट की युद्धक रेंज 1850 किलोमीटर है। तेजस एमके-2 लड़ाकू विमान एईएसए रडार प्रणाली से भी लैस होगा, जिससे 200 किलोमीटर दूर से ही लक्ष्य का पता लगाना संभव हो सकेगा। ऐसे में वायुसेना की हमलावर शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।