भारत-रूस की अटूट दोस्ती ध्रुव तारे की तरह हर कसौटी पर खरी, फुटेज मे देखें पीएम मोदी ने पुतिन को बताया सच्चा दोस्त
भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंध एक बार फिर नई ऊंचाइयों को छूते नज़र आ रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों की मित्रता को “ध्रुव तारे” की तरह स्थिर और अटूट बताया। उन्होंने साफ कहा कि भारत-रूस दोस्ती हर कसौटी पर खरी उतरी है और इसका मुख्य श्रेय राष्ट्रपति पुतिन को जाता है, जिन्होंने करीब 25 वर्ष पहले इस साझेदारी की मजबूत नींव रखी थी।
हैदराबाद हाउस में हुई उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया मौजूदा समय में कई तरह की वैश्विक चुनौतियों और अस्थिरताओं से जूझ रही है, ऐसे में शांति की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस हो रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी विवाद में न्यूट्रल नहीं है, बल्कि हमेशा से शांति, संवाद और कूटनीति का समर्थक रहा है। भारत का मानना है कि मानवता को युद्ध नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व और सहयोग की राह पर आगे बढ़ना चाहिए और इस दिशा में भारत हर प्रयास का समर्थन करता रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-रूस रिश्ते केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों ने 2030 तक आर्थिक सहयोग को नई गति देने के लिए एक विस्तृत रणनीतिक रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत ऊर्जा, व्यापार, रक्षा, अंतरिक्ष, शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और लोगों से लोगों के संबंध जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि बदलते वैश्विक माहौल में यह आवश्यक है कि पुरानी मित्रताएं और मजबूत हों, जिससे बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को स्थिरता मिले। भारत और रूस इसी दृष्टिकोण के तहत आगे बढ़ रहे हैं और भविष्य में भी निरंतर प्रगाढ़ता के साथ एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का यह भारत दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है। सुबह राष्ट्रपति भवन में उनका भव्य स्वागत किया गया। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई और भारतीय सैन्य टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उनका सम्मान किया। इसके बाद पुतिन ने राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें नमन करते हुए विश्व शांति के प्रति गांधीजी के संदेश को याद किया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह दौरा उस समय हो रहा है जब दुनिया में कई भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हैं। ऐसे में भारत-रूस का एक साथ आना न केवल द्विपक्षीय बल्कि वैश्विक परिदृश्य में भी सकारात्मक संकेत देता है। भारत की “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना और रूस की दीर्घकालिक सहयोग नीति दोनों देशों को और करीब लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।