आधे भारत को नहीं पता भारत के किस हथियार का दीवाना है मुस्लिम देश
ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी ने भारतीय रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। इसके बाद भारत में विकसित हथियारों का विश्व स्तर पर डंका तेजी से बज रहा है। इसी कड़ी में स्वदेशी विकसित गाइडेड पिनाका रॉकेट सिस्टम की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है, जो भारतीय रक्षा उत्पादन की क्षमता और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक बन चुका है।
गाइडेड पिनाका: वैश्विक बाजार में भारतीय ताकत
रिपोर्टों के अनुसार, सऊदी अरब, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख देश इस अत्याधुनिक गाइडेड पिनाका रॉकेट सिस्टम में गहरी रुचि दिखा रहे हैं। सोलर इंडस्ट्रीज के कार्यकारी निदेशक (सेवानिवृत्त मेजर जनरल) वी. आर्य ने बताया कि ये देश पिनाका के खरीदार बनने की ओर गंभीर हैं। इससे पहले भी आर्मीनिया ने भारतीय पिनाका रॉकेट खरीदे थे और उन्होंने उन्हें अज़रबैजान के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किया, जो भारतीय हथियारों की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का स्पष्ट प्रमाण है।
पिनाका रॉकेट सिस्टम की खासियत
पिनाका मल्टी-बैरेल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) है, जो एक साथ 12 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है। इसकी पूरी बैटरी कुछ ही सेकंड में 1 टन तक विस्फोटक सामग्री दुश्मन के इलाके में दाग सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की क्षमता है।
गाइडेड पिनाका इस सिस्टम का उन्नत संस्करण है, जिसमें सैटेलाइट से निर्देशित निशानेबाजी की सुविधा है। इसकी मारक क्षमता लगभग 75 किलोमीटर तक है, जो इसे उच्च सटीकता और घातकता से लैस बनाती है। इस तकनीक के कारण लक्ष्यों को कम समय में, कम नुकसान के साथ सफलतापूर्वक ध्वस्त किया जा सकता है।
लागत और तुलना
गाइडेड पिनाका रॉकेट की कीमत अमेरिकी HIMARS सिस्टम से काफी कम है। एक रॉकेट की कीमत लगभग 56,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 4.6 करोड़ रुपये) है। एक यूनिट, जिसमें लॉन्चर, फायर कंट्रोल सिस्टम और कमांड पोस्ट शामिल होते हैं, की लागत 140 से 150 करोड़ रुपये के बीच है। पूरी रेजीमेंट, जिसमें 6 लॉन्चर और सभी आवश्यक सपोर्ट सिस्टम शामिल होते हैं, लगभग 850 करोड़ रुपये की होती है। यह भारत के लिए एक आर्थिक और रणनीतिक सफलता है, जो उच्च गुणवत्ता और किफायती लागत दोनों प्रदान करता है।