सऊदी अरब-पाकिस्तान के बीच बड़ी डिफेंस डील... आया भारत का रिएक्शन, जानें विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक नया साझा खुफिया तंत्र (Joint Intelligence Mechanism) स्थापित करने के लिए एक बड़ा समझौता किया है। इस समझौते का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से लड़ने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना है। इस कदम को दोनों कट्टर सुन्नी इस्लामिक देशों के बीच एक गहरा रणनीतिक संबंध बनाने की दिशा में देखा जा रहा है।
संयुक्त खुफिया प्रणाली का गठन
इस समझौते के तहत, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और सऊदी अरब की जनरल इंटेलिजेंस प्रेसिडेंसी (GID) अपने-अपने मुख्यालयों में स्पेशल इंटेलिजेंस सेल्स बनाएंगी। इन सेल्स का काम खुफिया जानकारी जुटाना, खतरों का आकलन करना और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित कार्रवाई करना होगा। इसके अलावा, एक खुफिया हॉटलाइन भी स्थापित की जाएगी ताकि दोनों देश रियल-टाइम में खुफिया जानकारी साझा कर सकें। यह पहल दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को संभावित खतरों से बचाने के लिए भी काम करेगी।
बदलते भू-राजनीतिक हालात में सहयोग
पाकिस्तान और सऊदी अरब के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह समझौता बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य को ध्यान में रखकर किया गया है। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि अपने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए उन्हें आपसी सहयोग बढ़ाना होगा। यह नई व्यवस्था एक संयुक्त खुफिया समिति (Joint Intelligence Committee) के आसपास केंद्रित होगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी गतिविधियों पर नजर रखेगी। इस समझौते में केवल डेटा साझा करना ही नहीं, बल्कि आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए अग्रिम चेतावनी जारी करने की व्यवस्था भी शामिल है।
प्रशिक्षण और आगे की राह
समझौते के एक हिस्से के रूप में, दोनों देशों के खुफिया अधिकारियों के लिए संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। ये कार्यक्रम उन्हें खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और साझा करने के आधुनिक तरीकों से परिचित कराएंगे। इस रणनीतिक साझेदारी को लेकर, सऊदी अरब का एक उच्च-स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल अगले महीने पाकिस्तान का दौरा करेगा। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य समझौते की प्रगति की समीक्षा करना और खुफिया सहयोग के ढांचे पर विस्तार से चर्चा करना होगा। अधिकारियों का मानना है कि यह दौरा नई समिति द्वारा तय की गई पहलों को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इस समझौते को पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक गहरा रणनीतिक गठजोड़ माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य ईरान सहित क्षेत्र के अन्य देशों के प्रभाव को संतुलित करना भी हो सकता है। यह साझेदारी मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया की भू-राजनीति पर दूरगामी प्रभाव डाल सकती है।