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2026 के लिए डोनाल्ड ट्रम्प का बड़ा एलान और प्रवासियों के लिए बड़ा झटका, ढूंढ-ढूंढकर करेंगे डिपोर्ट 

 

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन अपनी इमिग्रेशन नीतियों को और सख्त करने जा रहा है। अमेरिकी प्रशासन 2026 में इमिग्रेशन पर कार्रवाई तेज़ करने की तैयारी कर रहा है। ट्रंप प्रशासन अब वर्कप्लेस पर भी छापे मारने की तैयारी कर रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने जुलाई में एक बड़े खर्च पैकेज को मंज़ूरी दी थी, जिसके तहत इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) और बॉर्डर पेट्रोल को सितंबर 2029 तक अतिरिक्त $170 बिलियन की फंडिंग मिलेगी। यह भारी रकम उनके मौजूदा सालाना बजट $19 बिलियन से कई गुना ज़्यादा है।

अधिकारियों का कहना है कि इस पैसे का इस्तेमाल हज़ारों नए एजेंटों की भर्ती करने, नए डिटेंशन सेंटर खोलने और प्रवासियों को जेलों से निकालने के लिए किया जाएगा। बिना दस्तावेज़ वाले लोगों को ट्रैक करने के लिए बाहरी कंपनियों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। फेडरल एजेंटों ने इस साल कई बड़े बिज़नेस पर छापे मारे हैं। फार्म और फैक्ट्रियों जैसी जगहों को पहले इन छापों से छूट मिली हुई थी।

ट्रंप की लोकप्रियता पर असर
व्हाइट हाउस के "बॉर्डर ज़ार" टॉम होमन ने यह साफ कर दिया है कि यह नरमी अब खत्म होने वाली है। होमन ने कहा कि उन्हें अगले साल संख्या में काफी बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिसमें वर्कप्लेस पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई भी शामिल है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की इन सख्त नीतियों का असर उनकी लोकप्रियता पर भी पड़ रहा है। इमिग्रेशन नीति पर ट्रंप की अप्रूवल रेटिंग मार्च में 50 प्रतिशत थी, लेकिन दिसंबर के मध्य तक यह घटकर 41 प्रतिशत हो गई थी।

हर साल 10 लाख प्रवासियों को डिपोर्ट करने का वादा
ट्रंप ने हर साल 10 लाख प्रवासियों को डिपोर्ट करने का वादा किया था। जनवरी 2025 से अब तक लगभग 622,000 प्रवासियों को डिपोर्ट किया जा चुका है। सरकारी आंकड़े ट्रंप के इस दावे की सच्चाई उजागर करते हैं कि वह सिर्फ अपराधियों को डिपोर्ट कर रहे हैं। नवंबर के अंत तक ICE द्वारा गिरफ्तार किए गए 54,000 लोगों में से 41 प्रतिशत का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, जबकि ट्रंप के पद संभालने से पहले जनवरी में यह आंकड़ा सिर्फ 6 प्रतिशत था।

हज़ारों प्रवासियों का अस्थायी कानूनी दर्जा भी छीना गया
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप प्रशासन न सिर्फ बिना दस्तावेज़ वाले अप्रवासियों को बल्कि देश में कानूनी रूप से रह रहे लोगों को भी निशाना बना रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी नागरिकों के जीवनसाथी को उनके ग्रीन कार्ड इंटरव्यू के दौरान गिरफ्तार किया गया है। हैती, वेनेज़ुएला और अफगानिस्तान के हज़ारों प्रवासियों का अस्थायी कानूनी दर्जा भी रद्द कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर वर्कप्लेस पर छापे जारी रहे, तो मज़दूरी की लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिका में महंगाई को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा।