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चीन के वॉर्निंग रडार ने बदल दी रक्षा की रणनीति! दुश्मन मिसाइल की जानकारी मिलते ही कर देगा नष्ट, जाने इसका उद्देश्य, खतरे और ताकत  

 

चीन ने हाल ही में दुनिया के पहले लॉन्च ऑन वॉर्निंग (LOW) रडार का सफल परीक्षण किया है, जो दुश्मन के मिसाइल हमलों की चेतावनी देने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। यह रडार अमेरिकी मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हथियारों का पता लगाने और उन्हें मार गिराने की क्षमता रखता है। आइए समझते हैं कि यह तकनीक क्या है? यह कितनी कारगर हो सकती है? इसके पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है?

लॉन्च ऑन वॉर्निंग रडार क्या है?

लॉन्च ऑन वॉर्निंग रडार दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल हमलों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया एक उन्नत सिस्टम है। यह रडार न केवल मिसाइलों के प्रक्षेपण का पता लगा सकता है, बल्कि उनकी दिशा और गति पर भी नज़र रख सकता है। यदि कोई मिसाइल प्रक्षेपित होती है, तो यह रडार तुरंत चेतावनी देता है। यह सटीक जानकारी के आधार पर जवाबी कार्रवाई करने में मदद करता है। चीन का दावा है कि इस रडार ने परीक्षण में 100% सफलता हासिल की है, जो इसे दुनिया में अद्वितीय बनाता है।

परीक्षण विधि और परिणाम

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गोबी रेगिस्तान में एक साथ 16 बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया। इस परीक्षण में नई पीढ़ी के डुअल-बैंड (S/X) फेज़्ड ऐरे रडार का इस्तेमाल किया गया, जो मिसाइलों और उनके छद्म हथियारों की पहचान करने में सक्षम है। इस रडार ने 31 छद्म हथियारों और द्वितीयक लक्ष्यों पर लगातार नज़र रखी। 7 उच्च-मूल्य वाले खतरों को प्राथमिकता दी गई। परीक्षण में, प्रत्येक मिसाइल को सटीकता से पकड़ा गया और निशाना साधा गया, जो इसकी शक्ति को दर्शाता है। इस परीक्षण को इज़राइल और अमेरिका जैसे देशों की मौजूदा प्रणालियों से बेहतर माना जा रहा है, जहाँ हाल के हमलों में रक्षा प्रणालियाँ अत्यधिक भार से भरी हुई थीं।

अमेरिकी हथियारों के विरुद्ध दावा

चीन का कहना है कि यह रडार अमेरिकी मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हथियारों को आसानी से खोजकर नष्ट कर सकता है। यह रडार विशेष रूप से हाइपरसोनिक मिसाइलों और मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRV) जैसे उन्नत हथियारों के विरुद्ध प्रभावी है। यह दावा इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच सैन्य तनाव बढ़ रहा है। दोनों देश अपनी तकनीक से एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।

क्या यह दावा सही है?

हालाँकि चीन ने इस रडार की सफलता का दावा किया है, लेकिन इसे पूरी तरह सच मानने से पहले सावधानी बरतने की ज़रूरत है। अमेरिका के पास पहले से ही यूएसएनएस हॉवर्ड ओ. लोरेंजेन जैसे रडार हैं, जो 1000 से ज़्यादा लक्ष्यों पर नज़र रख सकते हैं, लेकिन इनका लाइव परीक्षण नहीं किया गया। चीन का यह परीक्षण प्रभावशाली हो सकता है, लेकिन वास्तविक युद्ध की स्थिति में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं। साथ ही, अमेरिका और उसके सहयोगियों के पास अपनी रक्षा प्रणालियाँ हैं, जो इस चुनौती का जवाब दे सकती हैं।

इसके पीछे का उद्देश्य

चीन का यह कदम सैन्य शक्ति दिखाने और क्षेत्रीय प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अपनी परमाणु शक्ति और मिसाइल भंडार में वृद्धि की है। इस रडार के ज़रिए वह अमेरिका और अन्य देशों को संदेश देना चाहता है। यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब भारत और अमेरिका के साथ उसका तनाव बढ़ा है। कुछ विशेषज्ञ इसे सैन्य दुष्प्रचार भी मान रहे हैं, ताकि घरेलू जनता का विश्वास बढ़े और दुश्मनों में डर पैदा हो।

संभावित खतरे

अगर यह रडार वाकई इतना शक्तिशाली है, तो यह क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बन सकता है। लॉन्च ऑन वार्निंग सिस्टम का मतलब है कि अगर चीन किसी हमले का पता लगाता है, तो वह तुरंत जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिससे युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। साथ ही, अमेरिका और उसके सहयोगी इस तकनीक को चुनौती दे सकते हैं, जिससे हथियारों की होड़ और तेज़ हो सकती है।

भारत के लिए इसका क्या मतलब है?

यह खबर भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि उसकी सीमा चीन से लगती है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपनी सैन्य ताकत दिखाई है, लेकिन अगर चीन का यह रडार वाकई इतना कारगर है, तो भारत को अपनी वायु रक्षा और मिसाइल प्रणालियों को और मज़बूत करना होगा।