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शोधकर्ताओं ने पाम तेल के पौधो से ग्लोबल वार्मिंग के खतर का दावा किया

 

जयपुर।भारत और मलेशिया में जहां पाम ऑयल को लेकर तनातनी चल रही है और भारत सरकार ने मलेशिया से पाम तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है।वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिको ने इस बात का दावा किया है कि पाम ऑयल की खेती पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली साबित होती है।शोधकर्ताओं ने माना कि पाम ऑयल बड़े पेड़ों की तुलना में इसके छोटे पौधों से ग्रीनहाउस गैसों का दोगुना उत्सर्जन होता है जो कि हमारे पर्यावरण के लिए एक खतरा है।

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने भूमि उपयोग के चार अलग-अलग चरणों में इसकी पांच साइटों का विश्लेषण किया है।इनमें माध्यमिक वन का क्षेत्र, हाल ही में सूखे लेकिन अस्पष्ट वन क्षेत्र, साफ और हाल ही में लगाए गए पाम ऑयल के बागान व परिपक्व पाम ऑयल के पेड़ वाले क्षेत्र पर विश्लेष किया।

जिसके बाद वैज्ञानिको ने इस नए अध्ययन में इस बात का दावा करते हुए बताया कि पाम ऑयल के छोटे पौधे बडे पेड़ो की तुलना में ग्लोबल वार्मिग के लिए जिम्मेदार है।वैज्ञानिको का यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित

पहला शोध अध्ययन है जिसमें पाम ऑयल प्लांटेशन के विभिन्न चरणों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की जांच करने के बारे में बताया गया है।इस अध्ययन के बारे में ब्रिटेन की नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मलेशिया के उत्तरी सेलांगोर पीट के जंगल में वैज्ञानिक विश्लेषण करने के बाद बताया है।

शोधकर्ताओं ने इस बात को भी बताया है कि पाम ऑयल एक वनस्पति तेल है, जिसकी दुनिया में सबसे अधिक मांग और खपत होती है।लेकिन यह पर्यावरण के लिए घातक है और इससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा अधिक बढ़ता है।

शोधकर्ताओं ने मलेशिया के पाम तेल बागाने पर रिसर्च करने के बाद इस बात का दवा किया है कि पाम ऑयल के बड़े पेड़ों की तुलना में इसके छोटे पौधों से ग्रीनहाउस गैसों का दोगुना उत्सर्जन होता है।जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढता है,जो कि हमारे पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है। शोधकर्ताओं ने पाम तेल के पौधो से ग्लोबल वार्मिंग के खतर का दावा किया