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क्या सच में चीन तुर्किए और मालदीव तीनों मिलकर भारत के खिलाफ रच रहे चक्रव्यूह, सामने आई ये बड़ी वजह

 

लक्षद्वीप के बित्रा द्वीप को लेकर हंगामा मचा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि लक्षद्वीप प्रशासन बित्रा द्वीप पर 'कब्ज़ा' करने की योजना बना रहा है। हालाँकि, स्थानीय लोगों और लक्षद्वीप के सांसद हमदुल्ला सईद ने इसका कड़ा विरोध किया है। तो सवाल यह है कि लक्षद्वीप प्रशासन बित्रा द्वीप पर कब्ज़ा क्यों करना चाहता है? क्या यह चीन, तुर्की और मालदीव के नापाक इरादों पर लगाम लगाने के लिए है?

लक्षद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित बित्रा सबसे कम आबादी वाला द्वीप है। इसकी लंबाई 0.57 किमी और चौड़ाई 0.28 किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बित्रा द्वीप की कुल जनसंख्या केवल 271 है। पिछले 11 जुलाई को जारी एक सरकारी अधिसूचना में राजस्व विभाग द्वारा बित्रा द्वीप को अपने अधीन करके रक्षा विभाग को सौंपने के प्रस्ताव का उल्लेख है। इस द्वीप का उपयोग भारत की रक्षा एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।

सरकार लक्षद्वीप के बित्रा को क्यों चाहती है?

सरकारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि बित्रा द्वीप की रणनीतिक स्थिति, इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रासंगिकता और प्रशासनिक चुनौतियों को ध्यान में रखा गया है। यदि यह योजना क्रियान्वित होती है, तो बित्रा के कवरत्ती स्थित INS द्वीप रक्षक, मिंकोय स्थित INS जटायु के बाद लक्षद्वीप का तीसरा द्वीप होगा, जहाँ रक्षा प्रतिष्ठान स्थित होगा।

बित्रा द्वीप क्यों महत्वपूर्ण है?

बित्रा द्वीप भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अरब सागर में एक ऐसे स्थान पर स्थित है जो अंतर्राष्ट्रीय जलमार्गों के निकट है। यदि भारतीय नौसेना यहाँ तैनात रहती है, तो इससे चीन और पाकिस्तान के जहाजों पर निगरानी रखना बहुत आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं, यह कदम द्वीपीय क्षेत्रों में भारत की बढ़ती सैन्य उपस्थिति का एक हिस्सा है।

चीन-तुर्की और मालदीव पर भारत की नज़र

भारत हिंद महासागर में चीन, तुर्की और मालदीव के नापाक इरादों पर आसानी से नज़र रख सकेगा। इस द्वीप के ज़रिए भारत अरब सागर में पाकिस्तानी नौसेना पर भी नज़र रख सकेगा। यह द्वीप जहाँ स्थित है, उस रास्ते से तेल और गैस की भी बड़ी आपूर्ति होती है। ऐसे में बित्रा द्वीप सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद अहम साबित होगा।

चीन-तुर्क मालदीव के क़रीब आए

मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद, जब से मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, चीन और तुर्की की दखलंदाज़ी बढ़ गई है। राष्ट्रपति बनने के बाद, मुइज्जू अपनी पहली विदेश यात्रा पर चीन गए थे। तब से, चीनी जासूस मालदीव में डेरा जमाए हुए हैं। मुइज्जू ने तुर्की से ड्रोन भी ख़रीदे हैं। तुर्की ने मालदीव के साथ नौसैनिक सहयोग बढ़ाने का भी ऐलान किया है। चीन-तुर्की और पाकिस्तान के नापाक इरादों को देखते हुए, बित्रा द्वीप पर भारतीय सेना का होना ज़रूरी हो गया है।