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कंबोडिया ने 60 साल पुराने रूसी हथियार से थाईलैंड में मचाई तबाही, 6 सेकंड में 40 वारहेड दागने की क्षमता, BM-21 रॉकेट क्या है?

 

दक्षिण पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देशों, थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद अब खुले युद्ध में तब्दील होता जा रहा है। 24 जुलाई से चल रहे खूनी संघर्ष के दौरान कंबोडियाई सेना ने कथित तौर पर रूस निर्मित BM-21 ग्रैड मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल किया है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है। थाई सेना ने संतुलित लेकिन भारी गोलाबारी से जवाब दिया। इस संघर्ष में अब तक कम से कम 15 लोग मारे गए हैं और दर्जनों घायल हुए हैं। दोनों देशों के बीच यह तनाव वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन इस बार इस्तेमाल किए गए हथियारों से संकेत मिलता है कि यह संघर्ष अब पारंपरिक दायरे से बाहर जा चुका है।

विवाद कहाँ से शुरू हुआ?

यह संघर्ष 7वीं शताब्दी के एक हिंदू मंदिर से जुड़ा है, जिस पर दोनों देश अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं। यह मंदिर कंबोडिया की सीमा पर स्थित है, लेकिन थाईलैंड मंदिर के आसपास के क्षेत्र पर अपना दावा करता है। हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर पर कंबोडिया के अधिकार को मान्यता दी है, लेकिन क्षेत्र में थाई सैन्य गतिविधियों में वृद्धि ने तनाव को फिर से बढ़ा दिया है।

BM-21 ग्रैड रॉकेट सिस्टम क्या है?

बीएम-21 ग्रैड एक सोवियत-युगीन मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम (एमआरएलएस) है, जिसे 1960 के दशक में विकसित किया गया था। इसे लड़ाकू वाहन या माउंटेड मशीन कहा जाता है। ट्रक पर आधारित यह हथियार 6 सेकंड में 40 रॉकेट दाग सकता है और 122 मिमी कैलिबर के रॉकेट एक साथ दुश्मन के टैंकों, तोपों और सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।

एक बार फायर करने के बाद इसे दोबारा लोड होने में 10 मिनट लगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सीमा पर झड़पों में आमतौर पर ऐसे हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंबोडिया ने इस बार आक्रामक रुख अपनाया है।

क्षेत्रीय खतरा क्या होगा?

सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि बीएम-21 जैसे हथियारों का इस्तेमाल केवल गंभीर युद्ध स्थितियों में ही किया जाता है। इनका इस्तेमाल एक चेतावनी के रूप में भी देखा जा सकता है कि संघर्ष अब सीमित टकराव तक सीमित नहीं रहेगा। इससे न केवल थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष बढ़ सकता है, बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया की स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।