अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिर किया भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर सीजफायर का दावा, ईरान और इजराइल का भी किया जिक्र
अमेरिका ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को लेकर बड़ा दावा किया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) में अमेरिका की प्रतिनिधि ने कहा है कि अमेरिका पिछले कुछ महीनों से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को कम करने और शांति स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका न केवल भारत-पाकिस्तान, बल्कि ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव को भी समाप्त करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत है।
इस बयान के साथ अमेरिका ने एक बार फिर उस दावे को दोहराया है, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान कई बार कर चुके हैं। ट्रंप ने सार्वजनिक मंचों पर कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही लड़ाई को रुकवाया है और दोनों देशों को शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि ने कहा, “हम जहां तक संभव हो, संघर्षों को रोकने और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं। पिछले तीन महीनों में अमेरिका की ओर से भारत और पाकिस्तान के तनाव को कम करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।” हालांकि उन्होंने इस पर स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिका ने यह प्रयास किस स्तर पर किए हैं और क्या इन प्रयासों में दोनों देशों की सहमति भी शामिल थी या नहीं।
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है, जिसमें कश्मीर, सीमा पर गोलीबारी, आतंकवाद, और राजनयिक संबंधों में खटास शामिल हैं। भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि वह किसी भी मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता, खासकर जब बात पाकिस्तान से जुड़ी हो।
अमेरिकी दावे पर अब तक भारत या पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, भारत का यह कहना रहा है कि पाकिस्तान से सभी मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय बातचीत ही समाधान है, न कि किसी बाहरी ताकत की मध्यस्थता। इसके विपरीत पाकिस्तान कई बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करता रहा है।
विशेषज्ञों की राय में, अमेरिका का यह बयान वैश्विक राजनीति में अपनी भूमिका को मजबूती से स्थापित करने की कोशिश भी हो सकता है। खासकर तब, जब अमेरिका पश्चिम एशिया और एशिया दोनों क्षेत्रों में अपने प्रभाव को बनाए रखने के प्रयास कर रहा है।
अंततः यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका के इन दावों पर भारत और पाकिस्तान की आगे की प्रतिक्रिया क्या होती है, और क्या वाकई में अमेरिका के प्रयासों से कोई ठोस नतीजा निकलता है या यह केवल कूटनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा।