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UN virus के प्रसार का मंच नहीं

 

कोविड-19 से प्रभावित 75वें संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की आम बहस ऑनलाइन तरीके से आयोजित हुई। अधिकांश देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं ने बहुपक्षवाद का समर्थन करने, एकता व सहयोग को मजबूत कर वैश्विक चुनौती का सामना करने की अपील की। लेकिन अमेरिका ने तथ्यों को तोड़कर राजनीतिक वायरस फैलाने की पूरी कोशिश की, चीन की निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय महामारी रोकथाम के सहयोग वातावरण को नष्ट किया है। वायरस की कोई सीमा और जाति नहीं है। वह किसी भी देश में पैदा हो सकती है। वायरस का स्रोत बताना एक वैज्ञानिक सवाल है। हाल में तथ्यों से साबित हुआ कि कुछ देशों में कोविड-19 के मामले चीन से पहले हुए थे। चीन महामारी को राजनीतिकरण बनाने का ²ढ़ विरोध करता है और वायरस के स्रोत की खोज करने में सक्रिय रूप से भाग लेगा।

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चीन ने भारी कीमत और प्रयास से छोटे समय में महामारी पर नियंत्रित किया। साथ ही चीन खुलेपन और पारदर्शिता के रवैये से सक्रिय रूप से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भाग लेता है। चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और संबंधित देशों और क्षेत्रों के संगठनों को महामारी की जानकारी दी और उन के साथ रोकथाम और उपचार के अनुभवों को साझा भी किया।

विश्व में सबसे समुन्नत देश होने के नाते अमेरिका ने महामारी के मुकाबले में किस तरह का प्रदर्शन किया? 2 फरवरी को जब अमेरिका ने चीनी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगायी, उस समय अमेरिका में सिर्फ 10 ही पुष्ट मामले थे। लेकिन केवल कई महीनों में अमेरिका में पुष्ट मामलों की संख्या 70 लाख के पार होने वाली है और मृतकों की संख्या भी 2 लाख हो गयी है। साथ ही अमेरिका ने खुलेआम अन्य देशों की महामारी सामग्रियों और टीकों के पेटेंट छीनने की पूरी कोशिश की। और तो और अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी हट गया और विश्व महामारी मुकाबले में सबसे बड़ा उपद्रवी बन गया है।

अमेरिका ने कोविड-19 के फैलने को नजरअंदाज करने के साथ राजनीतिक वायरस फैलाने की कोशिश की। अमेरिका के कुछ राजनेताओं ने इसे महामारी से मुकाबला का मुख्य काम बना लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम घेब्रेयसस ने भी चेतावनी दी कि अगर अमेरिका और ज्यादा शवों को नहीं देखना चाहता है, तो उसे महामारी के राजनीतिकरण को बंद करना चाहिए।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस