S-400 के बाद रूस ने भारत को दिया एक और धांसू डिफेंस सिस्टम का ऑफर, क्या भारतीय सेना में शामिल होगा S-350 वित्याज ?
रूस ने एक बार फिर भारत को अपना S-350 विट्याज़ मीडियम-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम देने की पेशकश की है। इस पेशकश में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) भी शामिल है, जिसका मतलब है कि सिस्टम का एक हिस्सा भारत में बनाया जा सकता है। रोस्टेक के अनुसार, यह सिस्टम भारत की मौजूदा S-400 ट्रायम्फ बैटरी को सपोर्ट करेगा और देश के इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस नेटवर्क को और मज़बूत करेगा।
हाल ही में हुई उच्च-स्तरीय बातचीत में, S-350 के अलावा, अतिरिक्त S-400 रेजिमेंट और S-500 सिस्टम पर भी चर्चा हुई। हालांकि, रूस अभी S-350 को तुरंत उपलब्ध और व्यावहारिक विकल्प के तौर पर बढ़ावा दे रहा है। भारत पहले ही S-400 के तीन स्क्वाड्रन को ऑपरेशनल कर चुका है, और दो और आने वाले हैं। S-350 को मिडिल और इनर लेयर डिफेंस के लिए आदर्श माना जाता है।
S-350 विट्याज़ की मुख्य विशेषताएं
S-350 विट्याज़ (एक्सपोर्ट वर्जन S-350E) एक आधुनिक रूसी मीडियम-रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है जिसे अल्माज़-एंटे द्वारा बनाया गया है। इसे पुराने S-300PS को बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मुख्य स्पेसिफिकेशन्स...
रेंज: एयरोडायनामिक लक्ष्यों (जैसे फाइटर जेट) के लिए 120 किलोमीटर तक, और बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 25-30 किलोमीटर।
ऊंचाई: 20-30 किलोमीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को रोक सकता है।
मिसाइलें: मुख्य रूप से 9M96E और 9M96E2 मिसाइलों (एक्टिव रडार-गाइडेड) का उपयोग करता है, साथ ही शॉर्ट-रेंज 9M100 का भी। एक लॉन्चर में 12 मिसाइलें होती हैं।
लक्ष्य क्षमता: एक साथ 16 लक्ष्यों (विमान, हेलीकॉप्टर) या 12 बैलिस्टिक लक्ष्यों को ट्रैक और निशाना बना सकता है।
रडार: मल्टीफंक्शनल AESA रडार, जो कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों का भी पता लगाता है।
अन्य विशेषताएं: मोबाइल। जल्दी तैनात होता है। यह क्रूज मिसाइलों, ड्रोन, सटीक-निर्देशित बमों और स्टील्थ लक्ष्यों को रोकने में सक्षम है। यह S-400 के साथ एक लेयर्ड डिफेंस सिस्टम बनाता है – S-400 लंबी दूरी के खतरों को संभालता है, जबकि S-350 मध्यम और छोटी दूरी के खतरों को संभालता है।
यह सिस्टम रूस की लेयर्ड एयर डिफेंस रणनीति का हिस्सा है और यूक्रेन जैसे संघर्षों में प्रभावी साबित हुआ है। यह भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे दो दुश्मनों से कैसे बचाएगा?
भारत की दो तरफा सीमाएँ हैं – पश्चिम में पाकिस्तान और उत्तर-पूर्व में चीन। दोनों देशों के पास आधुनिक फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन हैं। S-350 इन तरीकों से भारत की रक्षा को मज़बूत करेगा...
पाकिस्तान से सुरक्षा: पाकिस्तान के JF-17 और J-10 जैसे फाइटर जेट, और बाबर क्रूज मिसाइलें, कम ऊंचाई से हमला करते हैं। S-350 इन कम ऊंचाई वाले खतरों को आसानी से रोक सकता है। ऑपरेशन सिंधु के दौरान S-400 ने पाकिस्तानी हमलों को रोका था। S-350 और भी ज़्यादा घनी कवरेज देगा, खासकर पंजाब और राजस्थान की सीमाओं पर।
चीन से सुरक्षा: चीन के पास J-20 स्टील्थ फाइटर, DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइलें और ड्रोन का एक बड़ा बेड़ा है। लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे ऊंचे इलाकों में, कम दूरी के खतरे ज़्यादा होते हैं। S-350 की मल्टी-टारगेट क्षमता और तेज़ रिएक्शन टाइम भारत को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के साथ एक मज़बूत ढाल बनाने में मदद करेगा। S-400 के साथ मिलकर, यह हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइल खतरों को भी बेहतर तरीके से संभालेगा।
कुल मिलाकर, S-350 भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस (आकाश, बराक-8 और S-400 के साथ) को पूरा करेगा। यह न केवल दुश्मन के हवाई हमलों को रोकेगा, बल्कि भारतीय वायु सेना को ऑपरेशनल आज़ादी भी देगा – जिसका मतलब है कि रक्षा पर कम और हमला करने की क्षमताओं पर ज़्यादा ध्यान देना। अगर यह डील हो जाती है, तो उत्पादन और रखरखाव भारत में होगा, जिससे स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा।