जयपुर का सिटी पैलेस क्यों है हर पर्यटक की पहली पसंद? वायरल वीडियो में देखिये इसके 7 प्रमुख स्थलों और शाही दरबार की कहानी
राजस्थान की राजधानी जयपुर को गुलाबी नगरी के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसकी पहचान केवल रंगों से नहीं बल्कि भव्य राजसी विरासतों से भी है। इन्हीं में से एक है — जयपुर का सिटी पैलेस, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्त्व और शाही परंपराओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह महल न केवल जयपुर के गौरवशाली अतीत की कहानी कहता है, बल्कि आज भी राजा-महाराजाओं की जीवित परंपरा को संजोए हुए है।
सिटी पैलेस का इतिहास और विशेषता
जयपुर के सिटी पैलेस का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। सिटी पैलेस का निर्माण उस समय हुआ जब जयपुर शहर की नींव रखी गई थी। यह महल वास्तुकला की राजस्थानी और मुगल शैली का बेहतरीन संगम है। महल में नक्काशीदार खंभे, भव्य द्वार, रंग-बिरंगी खिड़कियां, और शानदार आंगन आज भी प्राचीन कला और संस्कृति की जीवंत मिसाल हैं।
सिटी पैलेस केवल एक भवन नहीं है, बल्कि यह महलों, आंगनों, मंदिरों और उद्यानों का एक भव्य परिसर है। आज भी इसके कुछ हिस्से में शाही परिवार निवास करता है, जबकि बाकी हिस्से को संग्रहालय और पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किया गया है।
आइए जानें सिटी पैलेस के 7 प्रमुख हिस्से जो इसे खास बनाते हैं:
1. मुबारक महल
मुबारक महल का अर्थ है ‘शुभ महल’। यह एक शानदार संगमरमर से बना महल है, जिसे यूरोपीय, मुगल और राजस्थानी स्थापत्य शैली को मिलाकर बनाया गया था। पहले यह शाही अतिथियों के स्वागत के लिए प्रयोग होता था। अब इसे Textile Museum में बदल दिया गया है, जहां महाराजाओं द्वारा पहने गए शाही वस्त्र, साड़ी और पोशाकें प्रदर्शित की गई हैं।
2. चंद्र महल
चंद्र महल, सिटी पैलेस का सबसे ऊंचा और सबसे प्रमुख हिस्सा है। इसके सात मंजिलें हैं और प्रत्येक मंजिल का अलग-अलग नाम और उद्देश्य है, जैसे सुख निवास, रंग मंदिर, श्री निवास आदि। आज भी जयपुर का शाही परिवार इसी भवन के एक भाग में निवास करता है। इसकी छत से पूरे जयपुर शहर का शानदार नज़ारा दिखाई देता है।
3. सिलहखाना (शस्त्रागार संग्रहालय)
यह संग्रहालय उन शस्त्रों और अस्त्रों का भंडार है जो जयपुर के युद्धकालीन इतिहास को बयां करते हैं। तलवारें, भाले, कटार, और बंदूकें यहां पर प्रदर्शित हैं। इसमें कुछ शस्त्र ऐसे भी हैं जिन्हें हीरों और रत्नों से सजाया गया था — जो राजा-महाराजाओं की शान और ताकत के प्रतीक थे।
4. प्रीतम निवास चौक
यह चौक चार विशिष्ट और सुंदर द्वारों के लिए प्रसिद्ध है — हर द्वार एक ऋतु और देवी के प्रतीक के रूप में बनाया गया है। जैसे, ‘Lotus Gate’ ग्रीष्म ऋतु और भगवान विष्णु के लिए, ‘Peacock Gate’ शरद ऋतु और भगवान कृष्ण के लिए, ‘Rose Gate’ बसंत ऋतु और मां देवी के लिए। यह स्थान बेहद इंस्टाग्रामेबल स्पॉट बन चुका है।
5. राजकीय दरबार हॉल (दीवान-ए-खास)
यह वह भव्य स्थान है जहां कभी जयपुर के महाराजा अपने मंत्रियों और दरबारियों से विचार-विमर्श करते थे। यहां पर बैठकों और महत्वपूर्ण घोषणाओं के लिए विशाल कक्ष बनाया गया था। इसी स्थान पर कभी-कभी रणभेरी गूंजती थी — युद्ध की घोषणा या शौर्यगाथा सुनाने के लिए। आज यह हॉल पर्यटकों के लिए खुला है, जहां आप उस शाही वैभव को महसूस कर सकते हैं।
6. दीवान-ए-आम (जनता दरबार हॉल)
यह हॉल आम जनता और शासक के बीच संपर्क का स्थान था। यहां से राजा आम समस्याएं सुनते और उनका समाधान करते थे। आज यह संग्रहालय के रूप में परिवर्तित हो चुका है जहां दुर्लभ पांडुलिपियां, शाही मुहरें और ऐतिहासिक दस्तावेज रखे गए हैं।
7. गोविंद देव जी मंदिर
यह मंदिर सिटी पैलेस परिसर में ही स्थित है और भगवान कृष्ण को समर्पित है। शाही परिवार की इस मंदिर में विशेष आस्था है। आज भी यह मंदिर जयपुरवासियों के बीच प्रमुख श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है और दैनिक आरती में हजारों लोग शामिल होते हैं।
क्यों है सिटी पैलेस इतना खास?
जयपुर का सिटी पैलेस केवल ईंट-पत्थरों की इमारत नहीं, बल्कि यह राजस्थानी शौर्य, संस्कृति और परंपरा का जीवित दस्तावेज है। यहां हर दीवार, हर द्वार और हर आंगन अपने अंदर शताब्दियों की कहानियां, संघर्ष, भक्ति और वैभव समेटे हुए है। चाहे वो चंद्र महल की ऊँचाई हो या प्रीतम निवास के रंग-बिरंगे द्वार, हर हिस्सा आपको एक अलग युग में ले जाता है।