जयपुर की झालाना सफारी क्यों मानी जाती है सबसे अनोखी? 3 मिनट के ड्रोन वीडियो में करे शहर के बीच बसी सफारी का वर्चुअल टूर
राजस्थान की राजधानी जयपुर सिर्फ महलों और किलों के लिए नहीं, बल्कि अपनी अनूठी "झालाना लेपर्ड सफारी" के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध होती जा रही है। यह सफारी देश की पहली ऐसी जगहों में शुमार है जो शहरी इलाके के बिलकुल पास होते हुए भी जंगली तेंदुओं का सुरक्षित और स्थायी आश्रय स्थल बन गई है। दुनिया में बहुत कम उदाहरण हैं जहां कोई बड़ा वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र एक शहर के इतने करीब हो और फिर भी वहां की जैव विविधता इतनी समृद्ध बनी रहे।
शहर के बीच एक जंगली चमत्कार
झालाना लेपर्ड सफारी जयपुर शहर के बीचोबीच स्थित है और ये एक ऐसी जगह है जहां आप दिन के उजाले में खुले आसमान के नीचे बिना किसी बाधा के तेंदुओं (Leopards) को उनके प्राकृतिक आवास में घूमते, शिकार करते या आराम करते देख सकते हैं। यह स्थान 1978 में संरक्षित वन क्षेत्र घोषित हुआ और 2017 से यहां सफारी की शुरुआत हुई। इससे पहले ये इलाका केवल ट्रैकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए खुला था।यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस क्षेत्र ने तेंदुओं और इंसानों के बीच सह-अस्तित्व का एक अनोखा उदाहरण पेश किया है। लगभग 23 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जंगल जयपुर के आबादी वाले हिस्से से मुश्किल से 10-15 मिनट की दूरी पर है, लेकिन इसके बावजूद यहां करीब 35 से अधिक तेंदुए प्राकृतिक रूप से विचरण करते हैं।
क्यों है झालाना सफारी खास?
झालाना सफारी की खासियत सिर्फ तेंदुए तक सीमित नहीं है। यहां आपको सांभर, नीलगाय, जंगली बिल्ली, लोमड़ी, सियार, मोर और अनेक प्रकार के पक्षी भी देखने को मिलते हैं। लेकिन सबसे रोमांचक अनुभव तब होता है जब आप सफारी गाड़ी में बैठकर सुबह या शाम के समय जंगल की पगडंडियों पर निकलते हैं और सामने अचानक एक तेंदुआ पेड़ की आड़ से आपको निहारता हुआ दिख जाए। यह दृश्य किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लगता।इस सफारी की एक और बड़ी खूबी है कि यह बिना बाड़बंदी के खुला जंगल है, जहां तेंदुए स्वतंत्र रूप से रहते हैं। यही कारण है कि यहां आने वाले पर्यटकों को तेंदुए देखने की संभावना काफी अधिक होती है। यही वजह है कि यह जगह फोटोग्राफर्स, वाइल्डलाइफ डॉक्युमेंट्री मेकर्स और नेचर लवर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा
झालाना लेपर्ड सफारी ने न केवल जयपुर के पर्यटन को एक नया आयाम दिया है बल्कि स्थानीय युवाओं को नेचर गाइड, ड्राइवर और सहायक सेवाओं के रूप में रोजगार भी उपलब्ध कराया है। यहां प्रशिक्षित गाइड्स न सिर्फ आपको जंगल के बारे में जानकारी देते हैं बल्कि वे हर छोटी-बड़ी हरकत को समझकर आपको जानवरों की गतिविधियों के बारे में भी अलर्ट करते रहते हैं।राजस्थान सरकार और वन विभाग की संयुक्त पहल से यहां ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिला है, जो ना केवल पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और ग्रामीण समुदायों की भागीदारी को भी बढ़ाता है।
बुकिंग और समय
झालाना सफारी दिन में दो बार चलती है – एक बार सुबह और एक बार शाम को। सफारी की बुकिंग ऑनलाइन की जा सकती है और इसकी अवधि लगभग 2.5 घंटे होती है। सफारी जीप में अधिकतम 6 पर्यटकों की अनुमति होती है, जिससे अनुभव ज्यादा निजी और रोमांचक बनता है। गर्मियों में सुबह 5:45 से और सर्दियों में लगभग 6:45 से सफारी शुरू होती है।
सावधानियां और सुझाव
हालांकि यह सफारी बेहद सुरक्षित मानी जाती है, फिर भी कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए –
शांत रहें और जानवरों को परेशान न करें
कैमरे का फ्लैश इस्तेमाल न करें
जीप से उतरना सख्त मना है
प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों का सम्मान करें