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कुंभलगढ़ के सीलन भरे तहखानों में आखिर कौन घूमती है आधी रात को?  इस ऐतिहासिक वीडियो में जानेसदियों पुराने खौफनाक राज़ 

 

राजस्थान के राजसी किलों में जहां एक ओर वीरता और वास्तु कला की कहानियां गूंजती हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे रहस्य भी छिपे हैं जो आज भी इतिहास और विज्ञान को चुनौती देते हैं। इन्हीं में से एक है कुंभलगढ़ किला, जो न केवल अपनी विशाल दीवारों और युद्धकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके तहखानों में छिपे खौफनाक राज़ भी सदीयों से लोगों को हैरान करते आए हैं।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/9q96J9zLiqo?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/9q96J9zLiqo/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="कुम्भलगढ़ किले का इतिहास, कब और किसने बनवाया, क्षेत्रफल, लम्बाई, चौड़ाई, दुर्ग की विशेषताएं" width="1250">

कुंभलगढ़ किला: एक इतिहास, हजारों राज़

राजसमंद जिले की अरावली की पहाड़ियों पर स्थित कुंभलगढ़ किला महाराणा कुंभा द्वारा 15वीं सदी में बनवाया गया था। यह किला 36 किलोमीटर लंबी दीवार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, जो चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है। लेकिन इसकी ऊंचाई और भव्यता जितनी चर्चा में है, उतनी ही रहस्यमयी हैं इसके अंधेरे तहखाने, जिनमें आज भी आम लोगों का प्रवेश वर्जित है।

तहखानों की वो सरसराहट, जो आज भी डराती है

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार कुंभलगढ़ के तहखानों में आज भी अजीब सी सरसराहटें, स्त्री रोने की आवाजें, लोहे की जंजीरों की खनक और अचानक ठंडी हवा के झोंके महसूस होते हैं। कई बार पर्यटकों और सुरक्षाकर्मियों ने दावा किया है कि उन्होंने वहां किसी की परछाई या साया चलता हुआ देखा है।

बलिदान की वो कहानी जो तहखानों में गूंजती है

कुंभलगढ़ के निर्माण के दौरान एक मान्यता यह भी है कि जब किले की दीवारें बार-बार गिरने लगीं, तो एक संत ने बलिदान देने की बात कही। उस संत का सिर आज भी मुख्य द्वार के पास बना हुआ है और धड़ जिस स्थान पर गिरा था, वहां महल बनवाया गया। कहा जाता है कि उस बलिदान की आत्मा आज भी तहखानों में घूमती है और रात्रि समय उसकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है।

क्या तहखानों में कैद किए जाते थे युद्ध बंदी?

इतिहासकारों का एक पक्ष यह भी मानता है कि इन तहखानों में युद्ध के बंदियों को कैद किया जाता था। उन्हें अंधेरे और सीलन भरे इन कमरों में भूखा-प्यासा रखा जाता था, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से टूट जाएं। कई बार इन बंदियों की मौतें अत्यंत क्रूर परिस्थितियों में हुईं, जिनकी पीड़ा और चीत्कार आज भी इन दीवारों में कैद हैं।

पुरातात्विक रहस्य या परामनोवैज्ञानिक ऊर्जा?

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि तहखानों में असामान्य घटनाएं महज मानसिक भ्रम या गूंजते हुए ध्वनि प्रभाव हो सकते हैं। लेकिन दूसरी ओर पैरानॉर्मल विशेषज्ञों ने भी इन तहखानों में उच्च स्तर की नकारात्मक ऊर्जा और विद्युत चुम्बकीय तरंगों को रिकॉर्ड किया है। यह ऊर्जा किसी अधूरी आत्मा या दर्दनाक इतिहास की ओर इशारा करती है।

क्या सरकार जानती है इन रहस्यों की सच्चाई?

सरकारी दस्तावेजों में कुंभलगढ़ किले के तहखानों को संरक्षित और खतरनाक क्षेत्र माना गया है। यहाँ आम पर्यटकों का प्रवेश वर्जित है। हालांकि, ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा कभी-कभी अध्ययन किया जाता है, लेकिन इन तहखानों से जुड़े रहस्यों को आज तक पूरी तरह उजागर नहीं किया गया।

फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज की भी पसंदीदा जगह

कुंभलगढ़ के तहखाने कई हॉरर डॉक्यूमेंट्रीज और मिस्ट्री बेस्ड शोज़ के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहे हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय क्रू ने भी यहां पैरानॉर्मल ऐक्टिविटी रिकॉर्ड करने के प्रयास किए हैं, लेकिन उन्हें भी कुछ असामान्य अनुभवों के बाद काम रोकना पड़ा।