थार डेजर्ट सिर्फ सैलानियों का नहीं बॉलीवुड डायरेक्टर्स का भी फेवरेट स्पॉट, वायरल फुटेज में देखिये यहां किन फिल्मों की हुई शूटिंग ?
थार डेजर्ट का अधिकांश हिस्सा राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर और नागौर जिलों में फैला हुआ है। यहां की पारंपरिक वास्तुकला, ऊँट सफारी, सुनहरी बालू, ऐतिहासिक हवेलियाँ और सूर्यास्त के समय का मनोहारी दृश्य बॉलीवुड के कैमरों के लिए किसी जादुई कैनवास से कम नहीं। फिल्म मेकर्स को यहां की लोकेशन्स में वह नैचुरल रॉ एस्थेटिक मिलता है, जो सेट पर बनाना लगभग असंभव है।
किन-किन फिल्मों की हुई शूटिंग?
1. बॉर्डर (1997)
जेपी दत्ता द्वारा निर्देशित यह युद्ध फिल्म राजस्थान के लॉन्गवाला क्षेत्र में फिल्माई गई थी, जो थार डेजर्ट का ही हिस्सा है। फिल्म के रेत के मैदान, सेना के मूवमेंट्स और धूल भरी आंधियों ने सीन को रियल बनाया।
2. बजरंगी भाईजान (2015)
सलमान खान की इस सुपरहिट फिल्म के कुछ महत्वपूर्ण हिस्से थार डेजर्ट और उसके आसपास के गांवों में शूट किए गए थे। पगड़ी पहने ग्रामीण, मिट्टी के घर और बालू की लहरें – सभी ने भारत-पाक सीमा के नज़दीकी वातावरण को जीवंत बना दिया।
3. राज़ी (Raazi - 2018)
आलिया भट्ट स्टारर यह फिल्म पाकिस्तान के माहौल को दर्शाने के लिए राजस्थान की पृष्ठभूमि का इस्तेमाल करती है। थार डेजर्ट का शुष्क, सादा और सैन्य दृष्टिकोण से उपयुक्त वातावरण फिल्म को यथार्थवाद प्रदान करता है।
4. दंगल (2016)
हालांकि दंगल की मुख्य शूटिंग हरियाणा में हुई थी, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण सीक्वेंस जैसलमेर और आसपास के रेगिस्तानी क्षेत्रों में शूट किए गए थे ताकि ग्रामीण जीवन की विविधता को दिखाया जा सके।
5. दिल्ली 6 (2009)
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की इस फिल्म में भी राजस्थान के कई हिस्सों का उपयोग किया गया, जिसमें रेगिस्तान का सूखा, लेकिन जीवंत दृश्य ताजगी देता है।
6. सरबजीत (2016)
ऐश्वर्या राय और रणदीप हुड्डा अभिनीत इस फिल्म में पाकिस्तान की जेल और सीमा क्षेत्रों को दिखाने के लिए थार के कुछ स्थानों को चुना गया। वहां के किले, दीवारें और सूखे मैदानों ने प्रभावशाली बैकड्रॉप तैयार किया।
क्यों पसंद है थार डेजर्ट फिल्ममेकर्स को?
थार डेजर्ट की एक खास बात यह है कि यह अपने में एक कहानी समेटे हुए है। यहां की जमीन सैकड़ों वर्षों के इतिहास की साक्षी रही है – युद्ध, प्रेम, बलिदान, संस्कृति और संघर्ष। फिल्ममेकर यहां सिर्फ सुंदर लोकेशन ही नहीं, बल्कि एक चरित्र खोजते हैं। यही वजह है कि चाहे युद्ध पर आधारित फिल्म हो, बॉर्डर ड्रामा हो, प्रेम कथा या ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – थार हर फ्रेम में जीवंत हो उठता है।
प्राकृतिक प्रकाश और कैमरा फ्रेंडली माहौल: थार में सूर्य की रोशनी पूरे दिन एक खास ऐंगल से पड़ती है, जिससे प्राकृतिक शॉट्स बेहतर बनते हैं। दिनभर में बदलते प्रकाश और रंग कैमरे के लेंस को एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं।स्थानीय संस्कृति और रंगों की विविधता: लोक नृत्य, परंपरागत वेशभूषा, ऊँट गाड़ियों, पगड़ियों और ढोल-नगाड़ों का दृश्य फिल्म को एक अलग ही पहचान देता है। ये न केवल विज़ुअली सुंदर होते हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक गहराई को भी उजागर करते हैं।
विदेशी फिल्मों के लिए भी बना पसंदीदा
थार डेजर्ट केवल बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड और अन्य विदेशी फिल्मों के लिए भी शूटिंग स्थल रहा है। कुछ डॉक्यूमेंट्री और विदेशी शॉर्ट फिल्में, विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान सीमा, ग्रामीण जीवन और लोककथाओं पर आधारित प्रोजेक्ट्स यहां फिल्माए गए हैं।
पर्यटन को मिला बढ़ावा
इन फिल्मों की लोकप्रियता के बाद जैसलमेर, सम, तनोट, बाड़मेर जैसे क्षेत्रों में टूरिज्म ने नई उड़ान भरी है। ऊँट सफारी, डेजर्ट कैंपिंग, लोक संगीत संध्या और हेरिटेज होटल्स अब विदेशी पर्यटकों के बीच भी बहुत प्रसिद्ध हो चुके हैं।
थार डेजर्ट आज एक ऐसा नाम बन चुका है जो केवल भूगोल या पर्यटन से जुड़ा नहीं है, बल्कि अब यह भारतीय सिनेमा के फ्रेम में जीवित है। इसकी रेत आज भी इतिहास, संस्कृति और अब सिनेमा के दृश्यों को अपने में समेटे आगे बहती जा रही है। आने वाले वर्षों में भी थार न केवल पर्यटकों का पसंदीदा रहेगा, बल्कि कैमरों की आंखों से और भी खूबसूरत कहानियाँ कहता रहेगा।अगर आप भी इस अद्भुत रेगिस्तान की खूबसूरती को महसूस करना चाहते हैं, तो अगली बार जब थार जाएं – अपने भीतर भी एक कैमरा जरूर लेकर जाएं, क्योंकि हर रेत का कण यहां एक दृश्य है और हर दृश्य एक कहानी।