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953 झरोखों वाला जयपुर का अनोखा महल जिसके पीछे छुपा है महाराजा प्रताप सिंह का अनोखा सपना, वीडियो में जाने कहानी 'हवा महल' की 

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर न सिर्फ़ अपनी रंगीन संस्कृति और परंपराओं के लिए जानी जाती है, बल्कि यहाँ की शाही विरासत भी विश्वभर के सैलानियों को आकर्षित करती है। इन धरोहरों में सबसे खास है हवामहल, जिसे "पैलेस ऑफ विंड्स" (Palace of Winds) भी कहा जाता है। गुलाबी नगरी के हृदय में स्थित यह महल राजस्थान की वास्तुकला, कला और राजसी वैभव का अनुपम उदाहरण है। हवामहल का इतिहास, इसकी संरचना और इससे जुड़ी मान्यताएँ इसे भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनाती हैं।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/g1AFh9S5jhQ?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/g1AFh9S5jhQ/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Hawa Mahal Jaipur History | हवामहल का इतिहास, स्थापना, वास्तुकला, कब-किसने बनाया, एंट्री फीस और बजट" width="1250">

हवामहल का निर्माण और इतिहास

हवामहल का निर्माण 1799 ईस्वी में जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। इस महल को बनाने का उद्देश्य शाही परिवार की महिलाओं को ध्यान में रखकर किया गया था। उस दौर में पाबंदियों की वजह से राजघराने की महिलाएँ खुलेआम बाहर जाकर बाजार या त्योहारों को नहीं देख सकती थीं। ऐसे में सवाई प्रताप सिंह ने हवामहल का निर्माण करवाया ताकि महिलाएँ जालियों और खिड़कियों के पीछे से बिना देखे देख सकें और बाहर की गतिविधियों का आनंद उठा सकें।इस महल को वास्तुकार लाल चंद उस्ता ने डिज़ाइन किया था। इसकी अनोखी डिज़ाइन और ढांचा देखने वालों को पहली ही नजर में प्रभावित कर देता है। इसे उस दौर के "राजपूत वास्तुकला" और "मुगल शैली" का मिश्रण माना जाता है।

वास्तुकला और संरचना

हवामहल को गुलाबी और लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, जो जयपुर की पहचान भी है। इस महल की सबसे बड़ी खासियत इसकी 953 छोटी-छोटी खिड़कियाँ (झरोखे) हैं। इन्हीं झरोखों से ठंडी हवाएँ महल में प्रवेश करती थीं, इसी कारण इसे "हवामहल" नाम दिया गया।महल पाँच मंजिला है और इसकी आकृति एक मुकुट जैसी लगती है। कहा जाता है कि इसे भगवान कृष्ण के मुकुट की तरह डिजाइन किया गया था। महल का ऊपरी भाग काफी हल्का और पतला है, जबकि निचले हिस्से में मजबूत आधार दिया गया है। इसके झरोखों और खिड़कियों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि गर्मियों में भी ठंडी हवाएँ महल के अंदर आती रहती थीं, जिससे यह प्राकृतिक एयर कंडीशनर की तरह काम करता था।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

हवामहल सिर्फ़ एक महल नहीं था, बल्कि यह राजघराने की महिलाओं के लिए समाज और संस्कृति से जुड़ने का माध्यम था। यहाँ से महिलाएँ गणेश चतुर्थी, तीज, दीवाली और दशहरा जैसे त्योहारों की झलक बिना किसी पाबंदी के ले सकती थीं। यह महल उस दौर की सामाजिक परंपराओं और महिलाओं के जीवन परंपराओं को भी बयां करता है।इसके अलावा हवामहल का निर्माण भगवान कृष्ण की भक्ति से भी जोड़ा जाता है। सवाई प्रताप सिंह भगवान कृष्ण के बड़े भक्त थे और उन्होंने इस महल को कृष्ण के मुकुट के आकार में बनवाकर अपनी आस्था व्यक्त की थी।

हवामहल के आसपास की खास जगहें

हवामहल जयपुर के व्यस्ततम क्षेत्र बाड़ी चौपड़ पर स्थित है। इसके आसपास जौहरी बाजार, किशनपोल बाजार और कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। पर्यटक यहाँ आते हुए न सिर्फ हवामहल का दीदार करते हैं बल्कि स्थानीय बाजारों में शॉपिंग और राजस्थान की संस्कृति का अनुभव भी करते हैं। हवामहल से जुड़ा "सिटी पैलेस" और "जंतर-मंतर" भी कुछ ही दूरी पर हैं, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।

पर्यटकों के लिए आकर्षण

आज हवामहल सिर्फ़ राजस्थान की धरोहर नहीं, बल्कि देश की शान बन चुका है। हर साल लाखों सैलानी यहाँ आते हैं और इसकी अनोखी बनावट और इतिहास को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुँचते हैं। खासकर विदेशी सैलानी हवामहल की वास्तुकला और झरोखों से आने वाली ठंडी हवा को देखकर दंग रह जाते हैं।सुबह-सुबह जब सूरज की पहली किरण हवामहल पर पड़ती है तो यह गुलाबी और सुनहरी रोशनी में चमक उठता है। यह नजारा पर्यटकों के लिए बेहद खास होता है। यही वजह है कि इसे "फोटोग्राफर्स पैराडाइज़" भी कहा जाता है।

संरक्षण और वर्तमान स्थिति

हवामहल का संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जाता है। समय-समय पर इसकी मरम्मत और रखरखाव किया जाता है ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रह सके। हालांकि बढ़ते प्रदूषण और भीड़-भाड़ से इसे नुकसान भी हुआ है। बावजूद इसके हवामहल आज भी शान से खड़ा है और जयपुर की पहचान बना हुआ है।राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन की दृष्टि से और भी आकर्षक बनाने के लिए आसपास के क्षेत्रों का विकास किया है। रात में जब हवामहल रोशनी से जगमगाता है तो यह दृश्य देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है।