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मानसागर झील के बीचों-बीच खड़ा जल महल! जहां रानियों ने बिताए थे अपने सुहाने पल, इस ऐतिहासिक वीडियो में देखे रोचक निर्माण गाथा 

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर अपनी भव्य विरासत, वास्तुकला और ऐतिहासिक स्थलों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। लेकिन अगर बात की जाए एक ऐसे महल की, जो झील के बीचों-बीच स्थित है और जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है, तो ‘जल महल’ का नाम सबसे ऊपर आता है। जल महल ना केवल स्थापत्य कला का एक बेजोड़ उदाहरण है, बल्कि इसमें छिपी रोचक और कम प्रसिद्ध कहानियां इसे और भी खास बना देती हैं। खासकर वह कथा जब इसे रानियों के लिए विश्राम स्थल के रूप में बनवाया गया था।

<a href=https://youtube.com/embed/stGbfNWp9Zw?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/stGbfNWp9Zw/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Jal Mahal Jaipur History | जल महल का इतिहास, स्थापना, वास्तुकला, कब-किसने बनाया, इनसाइड व्यू और बजट" width="695">
झील के बीच क्यों बनाया गया महल?
जल महल का निर्माण 18वीं शताब्दी में आमेर के महाराजा माधो सिंह प्रथम द्वारा करवाया गया था। इसे मानसागर झील के बीचों-बीच इसलिए बनाया गया ताकि यह शाही परिवार की रानियों और अन्य राजपरिवार की महिलाओं के लिए एक शांत विश्राम स्थल बन सके। गर्मियों की तपिश से राहत देने वाला यह महल चारों ओर से पानी से घिरा होने के कारण अत्यंत ठंडा और शीतल रहता था। रानियां यहां आकर झील की ठंडी हवाओं के बीच संगीत, नृत्य और जल-विहार का आनंद लिया करती थीं।

वास्तुकला की मिसाल है जल महल
जल महल राजस्थान और मुगल शैली की वास्तुकला का सुंदर संगम है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित यह पांच मंजिला इमारत बाहर से देखने पर एक या दो मंजिल की ही प्रतीत होती है, क्योंकि बाकी मंजिलें पानी में डूबी रहती हैं। इसका डिज़ाइन इस तरह से तैयार किया गया था कि मानसून में जब झील का जलस्तर बढ़े, तब भी महल की ऊपरी मंजिलें सुरक्षित और सुलभ रहें। इसकी खिड़कियों और झरोखों से आती ताजगी भरी हवाएं और महल के गुंबद इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

मानसागर झील: जल महल की आत्मा
जल महल जिस मानसागर झील के बीचों-बीच स्थित है, वह भी एक ऐतिहासिक जलाशय है। इसका निर्माण भी जल संरक्षण और सौंदर्य के उद्देश्य से किया गया था। झील में प्रवासी पक्षियों की आमद इसे एक रमणीय स्थल बना देती है। राजा माधो सिंह के समय में यह झील और महल मिलकर एक प्राकृतिक-सांस्कृतिक विरासत बन गए थे, जहां रानियां नौकाविहार और पक्षी विहार का आनंद लिया करती थीं।

क्यों हुआ जल महल गुमनामी का शिकार?
समय के साथ-साथ जल महल की देखरेख में कमी आई और यह धीरे-धीरे गुमनामी की ओर बढ़ने लगा। मानसागर झील का जल प्रदूषित हो गया और महल की दीवारों पर काई जमने लगी। लंबे समय तक यह महल बंद रहा और आम जनता की पहुंच से दूर था। लेकिन 21वीं सदी की शुरुआत में जब जयपुर को एक पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाने लगा, तब जल महल के पुनरुद्धार की योजना बनी।

पुनरुद्धार और संरक्षण की नई शुरुआत
राजस्थान सरकार और कई निजी संस्थाओं ने मिलकर जल महल और मानसागर झील के पुनरुद्धार का कार्य शुरू किया। झील को साफ किया गया, जल महल की दीवारों की मरम्मत की गई और इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में दोबारा सजाया गया। हालांकि अब भी यह महल अंदर से आम लोगों के लिए पूरी तरह खुला नहीं है, लेकिन इसकी बाहरी भव्यता और झील के किनारे से मिलने वाला नज़ारा पर्यटकों को सम्मोहित करता है।

आज का जल महल: फोटो, शांति और सौंदर्य का संगम
वर्तमान में जल महल जयपुर आने वाले पर्यटकों की ‘must visit’ सूची में शामिल है। खासकर शाम के समय जब सूरज की किरणें झील के पानी पर पड़ती हैं और महल सुनहरी आभा में नहाया नजर आता है, तब यह दृश्य किसी चित्रकला से कम नहीं लगता। यहां आने वाले पर्यटक नाव की सवारी कर महल के निकट तक जाते हैं और झील के किनारे बैठकर उसकी सुंदरता निहारते हैं।