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Jaigarh Fort Inside Story: जयगढ़ के तहखानों में आज भी दफन है अरबों का खजाना? वायरल फुटेज में जानें इसकी ऐतिहासिक सच्चाई

 

राजस्थान अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इस जगह की खूबसूरती को देखने के लिए हर साल दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में यहां आते हैं। अपने खान-पान और रहन-सहन के अलावा यह राज्य अपने किलों और महलों के लिए भी जाना जाता है। इन्हीं प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जयगढ़ किला, जो कई वजहों से मशहूर है। ऐसा माना जाता है कि इस किले में दुनिया की सबसे बड़ी तोप रखी हुई है, जिसे जयबाण तोप के नाम से जाना जाता है। इस किले का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय (1880-1922) ने करवाया था। जयपुर से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला हमेशा से ही पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है। इस दुर्जेय किले का निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में आमेर किले को दुश्मन के हमलों से बचाने के लिए किया गया था। चील का टीला नामक पहाड़ी पर बना यह किला जितना शानदार है, उतना ही इसका इतिहास भी दिलचस्प है। आइए जानते हैं जयगढ़ किले का समृद्ध इतिहास-


जयगढ़ किले का इतिहास
इसके इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि मुगल काल में यह किला यहां के शासकों का प्रमुख तोपखाना हुआ करता था। यह युद्ध में इस्तेमाल होने वाले हथियार और अन्य सामान रखने की जगह भी थी। राजस्थान के इतिहास और संस्कृति को दर्शाता यह किला 'विजय किला' के नाम से भी जाना जाता है। इसकी संरचना और डिजाइन आपको मध्यकालीन भारत की झलक दिखाएगी। समुद्र तल से कई सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित यह किला विशाल दीवारों से घिरा हुआ है और सुरंगों द्वारा आमेर किले से जुड़ा हुआ है।

जयगढ़ किले की अंतहीन दीवारें
इस किले की खास बात यह है कि आप आमेर में कहीं भी हों, एक चीज जो आपको कहीं से भी नजर आ सकती है, वह है जयगढ़ किले की विशाल लाल दीवारें। मूल रूप से बलुआ पत्थर से बनी ये दीवारें ​​​​3 किमी के क्षेत्र को कवर करती हैं। इस किले की एक और खास बात यह है कि यहां दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी पहिएदार तोप मौजूद है। इस तोप का निर्माण इसी किले में किया गया था। हालांकि, बड़े आकार का होने के बावजूद इसका इस्तेमाल कभी किसी युद्ध के दौरान नहीं किया गया।

किले में छिपा है बेशुमार खजाना
इस किले में तोप के पीछे स्थित पानी की टंकी को आज भी रहस्यमयी माना जाता है। यह टंकी आकार में बहुत बड़ी है। यह पानी की टंकी न केवल शुरुआती शताब्दियों में बल्कि 20वीं शताब्दी में भी चर्चा का विषय रही। ऐसा माना जाता है कि कछवाहा राजवंश इस किले का इस्तेमाल अपना खजाना जमा करने के लिए करते थे। कई इतिहासकारों का मानना ​​है कि इस किले में स्थित इस टंकी के नीचे एक कक्ष है, जहां महाराजा मान सिंह द्वारा अफगानिस्तान और भारत की अलग-अलग रियासतों से लूटा गया खजाना छिपाया गया था। हालांकि, अब तक इस बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है कि मानसिंह का खजाना किले में मौजूद है या नहीं और अगर खजाना यहां मौजूद है तो क्या वह अभी भी जयगढ़ के किले में छिपा हुआ है या उसे बाहर निकाल लिया गया है?