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क्या आप जानते है क्यों बनवाया गया 953 खिड़कियों वाला जयपुर का Hawa Mahal ? अगर नहीं तो अभी देखे 3 मिनट को शानदार डॉक्यूमेंट्री VIDEO 

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर को "पिंक सिटी" के नाम से जाना जाता है, और इस शहर की भव्यता में चार चांद लगाता है – हवा महल। यह महल केवल एक सुंदर इमारत नहीं, बल्कि एक ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जो राजस्थान की रॉयल आर्किटेक्चर, संस्कृति और सामाजिक परंपराओं को जीवंत रूप में दर्शाती है। हवा महल का इतिहास जितना अद्भुत है, उतनी ही अनोखी है इसकी बनावट और निर्माण की कहानी।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/g1AFh9S5jhQ?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/g1AFh9S5jhQ/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Hawa Mahal Jaipur History | हवामहल का इतिहास, स्थापना, वास्तुकला, कब-किसने बनाया, एंट्री फीस और बजट" width="1250">
निर्माण और स्थापत्य शैली
हवा महल का निर्माण 1799 में जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। इस महल को खासतौर पर महिलाओं यानी राजघराने की रानियों और अन्य स्त्रियों के लिए बनवाया गया था, ताकि वे बिना किसी की नजरों में आए शहर के बाहर की गतिविधियां देख सकें। उस दौर में पर्दा प्रथा बहुत सख्ती से पालन की जाती थी, और इसी कारण से यह 'महल' एक तरह की झरोखा शैली का उदाहरण है।इस महल का डिजाइन मशहूर वास्तुकार लाल चंद उस्ता ने तैयार किया था। इसे लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बनाया गया, जिससे यह जयपुर की बाकी इमारतों की थीम से मेल खाता है। हवा महल पांच मंजिला इमारत है, जिसकी ऊंचाई लगभग 50 फीट है। इसकी सबसे खास बात है – 953 छोटी-छोटी खिड़कियां या झरोखे, जिन्हें "जालीदार खिड़कियां" कहा जाता है।

नाम क्यों पड़ा "हवा महल"?
हवा महल को यह नाम इसकी अद्भुत बनावट के कारण मिला। इन सैकड़ों जालीदार खिड़कियों से महल के भीतर ठंडी हवा का लगातार प्रवाह होता है। गर्मी के मौसम में भी इस इमारत के अंदर एक प्रकार की स्वाभाविक ठंडक बनी रहती है। यह सिस्टम वेंटिलेशन के आधुनिक सिद्धांतों से कहीं अधिक बुद्धिमत्ता से डिज़ाइन किया गया था।यह वास्तुकला इस्लामी, मुगल और राजपूती शैलियों का मेल है। ऊपर से देखने पर यह महल भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट जैसा प्रतीत होता है, जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी बनाता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हवा महल सिर्फ एक दर्शनीय स्थल नहीं है, यह उस युग की सामाजिक व्यवस्था और महिलाओं की स्थिति का दस्तावेज भी है। महल का निर्माण इस सोच के साथ हुआ था कि राजघराने की महिलाएं, जिन्हें सार्वजनिक रूप से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी, वे भी दशहरा, तीज, गणगौर और अन्य त्योहारों की झांकियां देख सकें। उन खिड़कियों से वे बिना देखे गए समाज का हिस्सा बन सकती थीं।इस महल ने राजपूताना गौरव और स्थापत्य कला को विश्वभर में पहचान दिलाई। यह महिलाओं के लिए एक प्रकार की स्वतंत्रता का प्रतीक भी बना, भले ही वह सीमित थी।

आज का हवा महल
आज हवा महल सिर्फ जयपुर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। यह महल पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है और इसकी देखरेख नियमित रूप से की जाती है। महल के भीतर एक छोटा सा संग्रहालय भी है, जिसमें राजघराने के पुराने चित्र, हथियार, बर्तन और वस्त्र प्रदर्शित हैं।हर दिन हजारों सैलानी इस महल को देखने आते हैं। सुबह की पहली रोशनी जब महल की खिड़कियों से छनकर आती है, तो इसका सौंदर्य और बढ़ जाता है। यह दृश्य न केवल एक कैमरे के लेंस में, बल्कि दिलों में बस जाने वाला अनुभव होता है।