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सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैंड्स! मानसून में खिल उठता है बाँसवाड़ा, वीडियो में ऐसा अद्भुत नजारा देख आप भी कहेंगे - 'यही हा स्वर्ग...'

 

राजस्थान का हर कोना अपने आप में एक अनूठी कहानी समेटे हुए है, लेकिन जब बात हो बाँसवाड़ा जिले की, तो यह जगह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और झीलों की भरमार के कारण अलग पहचान रखती है। मानसून के मौसम में बाँसवाड़ा की खूबसूरती अपने चरम पर होती है, और इसी कारण इसे 'City of Hundred Islands' यानी "सौ द्वीपों का शहर" कहा जाता है।बाँसवाड़ा, राजस्थान के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक जिला है, जो मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमाओं से सटा हुआ है। यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है और अपनी पारंपरिक संस्कृति, हरियाली, जल स्रोतों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन जब मानसून आता है, तो यह पूरा क्षेत्र हरे गलीचों से ढक जाता है और यहां की झीलें मानो जीवन से भर उठती हैं।

<a href=https://youtube.com/embed/Et1k4FZvyII?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/Et1k4FZvyII/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="City of a Hundred Islands Banswara | बांसवाड़ा का इतिहास, बेस्ट जगहें, बजट, बेस्ट समय, कैसे पहुंचे" width="695">
मानसून में हरियाली का जादू
मानसून के समय बाँसवाड़ा की धरती हरियाली से ढंक जाती है। खेतों में लहराती फसलें, पहाड़ियों से बहते झरने और झीलों में उमड़ती लहरें इस क्षेत्र को प्राकृतिक स्वर्ग बना देती हैं। यहाँ के जंगल, जिनमें बांस की भरपूर मात्रा है, एक सुखद शांति और ताजगी का अनुभव कराते हैं। मौसम भी ठंडा और सुहावना हो जाता है, जो राजस्थान जैसे गर्म प्रदेश में किसी राहत से कम नहीं।

क्यों कहा जाता है इसे 'सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैंड्स'?
बाँसवाड़ा में माही नदी पर बने माही बांध और उससे जुड़ी कई झीलें हैं, जिनमें मानसून के समय पानी भर जाता है। इनमें छोटे-छोटे टापू (आइलैंड्स) उभर आते हैं, जो दूर से देखने पर एक अलग ही दृश्य प्रस्तुत करते हैं। अनुमान है कि यहाँ मानसून के समय 100 से अधिक आइलैंड्स नजर आते हैं, और इसी वजह से इसे 'सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैंड्स' कहा जाता है। खासकर कागदी पिकअप वियर और माही डैम क्षेत्र इन नजारों के लिए मशहूर हैं।

प्रमुख पर्यटन स्थल
मानसून में बाँसवाड़ा घूमने आने वाले पर्यटक कई प्रसिद्ध स्थलों का आनंद उठा सकते हैं। माही डैम, कागदी पिकअप वियर, अरथुना मंदिर, त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, और चित्तौड़गढ़ स्टाइल में बने बाँसवाड़ा का किला ऐसे कुछ स्थल हैं जो इतिहास, प्रकृति और अध्यात्म का संगम दिखाते हैं। माही नदी पर बनी झीलों में बोटिंग करना और आसपास के पहाड़ी इलाकों में ट्रेकिंग करना एक अलग ही अनुभव है।

स्थानीय संस्कृति और स्वाद
यहाँ की भील और मीणा जनजातियों की जीवनशैली और लोकसंस्कृति भी मानसून में देखने लायक होती है। आदिवासी लोकनृत्य, पारंपरिक वेशभूषा और वर्षा के स्वागत में गाए जाने वाले लोकगीत बाँसवाड़ा के मानसूनी अनुभव को और रंगीन बना देते हैं। स्थानीय भोजन जैसे मक्का की रोटी, भुने हुए चने, और देसी घी में बना दल बाटी यहाँ के जायके में चार चाँद लगा देता है।

एक शांत और भीड़ से दूर अनुभव
राजस्थान के शहरी इलाकों की भीड़ और गर्मी से इतर बाँसवाड़ा मानसून में एक शांत, हरियाली से भरपूर, और पानी से लबालब भरी दुनिया जैसा महसूस होता है। यहाँ आकर पर्यटक प्रकृति की गोद में कुछ दिन सुकून से बिता सकते हैं। यही कारण है कि आजकल यह स्थान एडवेंचर टूरिज्म और इको-टूरिज्म के लिए भी लोकप्रिय हो रहा है।