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जयपुर आए और नहीं देखे 18वीं सदी के ये महल और किले तो अधूरी है आपकी राजस्थान यात्रा, वीडियो में जाने इनका इतिहास 

 

राजस्थान में गुलाबी नगर के नाम से मशहूर जयपुर की स्थापना 18 नवंबर 1727 को हुई थी। इस शहर का निर्माण आमेर के राजा जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इस शहर की बसावट और वास्तुकला प्रसिद्ध वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य के सिद्धांतों के अनुरूप की गई थी। आज यह शहर 295 साल का हो गया है, यानी आज गुलाबी नगर जयपुर का स्थापना दिवस है।1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स भारत आए थे। उनके स्वागत में महाराजा राम सिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था, जिसके बाद से इसे गुलाबी नगर के नाम से जाना जाने लगा। रंग-बिरंगे रत्नों और आभूषणों के लिए मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है। करीब 100 साल पहले जयपुर के बारे में एक कहावत कही जाती थी कि अगर जयपुर नहीं देखा तो इस दुनिया में आने का क्या फायदा? ऐसे में यहां हम शहर के 10 प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं जो बेहद खास हैं।

<a href=https://youtube.com/embed/AkpcAeqWj8Y?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/AkpcAeqWj8Y/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Amer Fort Jaipur | आमेर किले का इतिहास, स्थापना, वास्तुकला, रहस्य, कब व किसने बनवाया और वीडियो टूर" width="1250">
आमेर पैलेस
जयपुर से 11 किलोमीटर दूर आमेर किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यह एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले की संरचना में हिंदू और मुगल शैलियों का एक सुंदर मिश्रण देखा जा सकता है। वर्ष 1592 में राजा मानसिंह प्रथम ने दुश्मनों से लड़ने और खुद की रक्षा करने के लिए इस महल का निर्माण कराया था। इस महल का इतिहास सात शताब्दियों का है।

सिटी पैलेस
चारदीवारी वाले शहर के बीच में स्थित इस महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इसमें मुबारक महल, महारानी का महल और चौक-चौबारों के साथ कई अन्य छोटे महल हैं। अब मुबारक महल में महाराजा मानसिंह का संग्रहालय बना दिया गया है। इसमें शाही पोशाकें, पश्मीना शॉल, बनारसी साड़ियाँ, रेशमी कपड़े, जयपुर के सांगानेर के छपे कपड़े और अन्य कीमती रत्न जड़ित कपड़े रखे हुए हैं। महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम और महारानियों के कपड़ों का संग्रह भी यहाँ देखा जा सकता है।

<a href=https://youtube.com/embed/SB6YAxlTIXg?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/SB6YAxlTIXg/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Jantar Mantar Jaipur | जंतर-मंतर जयपुर, सूर्य घडी, सम्राट यंत्र, जय प्रकाश यंत्र, दिशा और राम यंत्र" width="1250">

जंतर मंतर
यह जयपुर की खगोलीय वेधशाला है। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने पाँच वेधशालाएँ बनवाईं, जिनमें से यह सबसे बड़ी है। इसे जंतर मंतर के नाम से जाना जाता है। इसका नाम यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। यहां बने उपकरणों का उपयोग समय मापने, सूर्य की गति और कक्षाओं का निरीक्षण करने और खगोलीय पिंडों के बारे में जानकारी देने के लिए किया जाता है। पर्यटकों को वेधशाला के बारे में जानकारी देने के लिए विशेषज्ञ यहां मौजूद रहते हैं।

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हवा महल
साल 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने पांच मंजिला हवा महल का निर्माण कराया था। इसका डिजाइन आर्किटेक्ट लालचंद उस्ता ने तैयार किया था। इसकी दीवारें डेढ़ फीट चौड़ी हैं और इसमें 953 खूबसूरत और आकर्षक छोटी खिड़कियां हैं। जिसकी वजह से यह महल गर्मियों में भी वातानुकूलित रहता है। इस महल का निर्माण इसलिए कराया गया था ताकि रानियां अंदर बैठकर शहर में होने वाले मेलों, त्योहारों और जुलूसों को आसानी से देख सकें।

<a href=https://youtube.com/embed/KCkzugWtgxY?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/KCkzugWtgxY/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Albert Hall Museum Jaipur | अल्बर्ट हॉल जयपुर का इतिहास, वास्तुकला, कलाशैली, एंट्री फीस और म्यूजियम" width="1250">

अल्बर्ट हॉल (केंद्रीय संग्रहालय)
प्रिंस ऑफ वेल्स ने 1876 में इसकी आधारशिला रखी थी। इसका नाम लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय के नाम पर रखा गया। स्विंटन जैकब ने इसका डिजाइन तैयार किया था और इसे इंडो-सरसेनिक स्थापत्य शैली के आधार पर बनाया गया था। यहां जयपुर स्कूल ऑफ आर्ट, कोटा, बूंदी, किशनगढ़ और उदयपुर शैली के लघु चित्रों का बड़ा संग्रह है। धातु की वस्तुएं, लकड़ी के शिल्प, मूर्तियां, हथियार, कीमती पत्थर, हाथी दांत की वस्तुएं भी पर्यटकों के देखने के लिए यहां रखी गई हैं।

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नाहरगढ़ किला
यहां से जयपुर शहर का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है। महाराजा जयसिंह ने वर्ष 1734 में इस किले का निर्माण करवाया था। नाहरगढ़ का मतलब शेर का किला होता है, इसलिए इसे शहर का रक्षक भी माना जाता था। इस किले में बना माधवेंद्र भवन गर्मियों के दौरान महाराजा के निवास के रूप में इस्तेमाल होता था।

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जयगढ़ किला
महाराजा जयसिंह द्वितीय ने आमेर की सुरक्षा के लिए 1726 में इस किले का निर्माण करवाया था। शस्त्रागार, अनोखे हथियार संग्रहालय, तोप कारखाने और दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयवान को देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं। कहा जाता है कि जब इस तोप को चलाया गया तो शहर से 35 किलोमीटर दूर एक तालाब जैसा गड्ढा बन गया था। इस तोप का वजन 50 टन है और इसकी लंबाई 31 फीट 3 इंच है। इसकी 8 मीटर लंबी बैरल में एक बार में 100 किलो बारूद भरा जाता था।

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जल महल
यह मानसागर झील के बीच में बना है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे यह पानी में तैर रहा हो। महाराजा जय सिंह द्वितीय ने इसे 18वीं शताब्दी में बनवाया था। इसे रोमांटिक पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। राजा अपनी रानी के साथ खास समय बिताने के लिए इस महल में आते थे। चारों कोनों पर बुर्ज और छतरियां बनी हुई हैं।

मोम संग्रहालय
यह अरावली की तलहटी में शहर का मोम संग्रहालय है। इसे एंटरटेनमेंट 7 वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड ने बनवाया है। लिमिटेड संग्रहालय में 30 प्रसिद्ध हस्तियों की मोम की प्रतिमाएँ रखी गई हैं। इनमें अमिताभ बच्चन, महात्मा गांधी, भगत सिंह, रविन्द्र नाथ टैगोर, अल्बर्ट आइंस्टीन, माइकल जैक्सन, सवाई जय सिंह द्वितीय, महारानी गायत्री देवी और भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व की कई प्रमुख हस्तियों की मोम की प्रतिमाएँ शामिल हैं। यहाँ 10 फीट लंबी बुलेट, गति-गामिनी, प्रसिद्ध पर्यटक मोटर बाइक भी है।

अमर जवान ज्योति
यह राजस्थान के शहीदों को समर्पित एक स्मारक है। यह नए विधानसभा भवन के पास स्थित है। इसके चारों कोनों में ज्योतियाँ जलाई जाती हैं। शाम के समय अमर जवान ज्योति रंगों की आकर्षक छटा बिखेरती है। यह पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है।