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आखिर क्यों और किसके लिए किया गया था जयपुर के Hawa Mahal का निर्माण ? वीडियो में दिलचस्प निर्माण गाथा देख चौंक जाएंगे आप 

 

आप में से कई लोग जो जयपुर घूमने गए हैं, वे इस जगह से जुड़े एक सवाल का सही जवाब नहीं दे पाएंगे? सवाल यह है कि इस शहर की किस इमारत को जयपुर का मुकुट कहा जाता है? एक संकेत के लिए बता दें कि यह इमारत 5 मंजिला है। इसमें खूबसूरत नक्काशी से बनी 953 खिड़कियां हैं। वास्तुकला ऐसी है कि चिलचिलाती गर्मी में भी यह बिल्कुल ठंडी रहती है। अब बात करते हैं कि आखिर किस जगह को जयपुर का मुकुट क्यों कहा जाता है।


हवा महल का इतिहास क्या है
जयपुर का मुकुट यहां बना हवा महल है। इसे महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने रानियों के लिए 1799 में बनवाया था। ताकि वे खास मौकों पर एक साथ बैठ सकें। महल में गुलाबी और लाल रंग का इस्तेमाल किया गया है। हर खिड़की से ठंडी हवा आती है। रानियां महल में बनी खिड़कियों से बाहर का पूरा नजारा देखती थीं। इसे हवा का महल भी कहा जाता है। गर्मियों में भी महल में ठंडी हवा आती है, जिस वजह से लोग इसे हवा महल कहते हैं।

क्यों कहा जाता है जयपुर का मुकुट
महाराजा सवाई प्रताप सिंह भगवान कृष्ण के भक्त थे। इसी वजह से उन्होंने इस महल को भगवान के मुकुट का आकार दिया था। तभी से इस इमारत को जयपुर का मुकुट कहा जाता है। हवा महल को सामने से देखने पर भी इसका आकार मुकुट जैसा ही लगता है। महल के अंदर 3 मंदिर भी बने हुए हैं। हवा महल के टूरिस्ट गाइड अशोक कराडिया बताते हैं कि उस समय से ही राजस्थान में तीज और गणगौर के त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते थे। तीज का जुलूस बाजार की मुख्य सड़कों से होकर गुजरता था, जिसे रानियां नहीं देख पाती थीं।

यहां रहती थीं रानियां
इस महल में रानियां रहती थीं। वे आराम करती थीं। इसीलिए महल के पत्थर और नक्शा बेहद खास हैं। उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। वे नहीं जान सकती थीं कि बाहर क्या हो रहा है। लेकिन, हवा महल बनने के बाद वे खिड़की से सभी त्यौहार देख सकती थीं। इसे आर्किटेक्ट लाल चंद्र उस्ताद ने मुगल और राजपूत शैली में डिजाइन और बनवाया था। इस महल की बनावट ऐसी है कि अंदर से तो सब कुछ दिखता है, लेकिन बाहर से अंदर कुछ भी नहीं।

क भी सीढ़ी नहीं है
हवा महल 5 मंजिला है, लेकिन इस इमारत में न तो कोई सीढ़ियां हैं और न ही कोई लिफ्ट। एक मंजिल से दूसरी मंजिल पर जाने के लिए रैंप हैं। इस महल को जयपुर के सिटी पैलेस के हिस्से के तौर पर बनाया गया है। इसीलिए इसमें कोई एंट्री गेट नहीं है।

हवा महल कैसे पहुंचें
जयपुर में हवा महल जाने के लिए आपको जयपुर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पहुंचना होगा। इसके बाद आप स्थानीय वाहन से हवा महल जा सकते हैं। दिल्ली समेत कई राज्यों से जयपुर के लिए सीधी ट्रेनें चलती हैं। जयपुर में बस स्टैंड भी है, जहां से आपको कश्मीरी गेट से सीधी बस मिल जाएगी। हवा महल सुबह 9 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है। महल देखने के लिए आपको 10 रुपए का टिकट भी लेना होगा।