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आज है Feroze Gandhi का जन्मदिन,आजादी के बाद Nehru की सरकार के खिलाफ ही उजागर किया घोटाला 

 

आज देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी का जन्मदिन है। उनका आज ही के दिन साल 1912 में जन्म हुआ था। इंदिरा और फिरोज के रिश्ते शुरू से ही विवादों के कारण रहे। अव्वल तो दोनों के रिश्ते से पिता नेहरू कभी खुश नहीं रहे थे। बाद में कुछ ही सालो बाद फिरोज और इंदिरा के खुद के रिश्तो में भी कुछ समय बाद खटास आ गयी। 

शादी के कुछ समय बाद ही इंदिरा और फिरोज ने एक किराये का घर लिया था। इंदिरा की बायोपिक लिखने वाली और उनकी करीबी मित्र रही पुपुल जयकार इस विषय पर लिखती है ‘इंदिरा में इस घर को लेकर एक अलग ही तरह का चाव था। वो इस घर को इस तरह से सजा रही थीं जैसे ये उनका खुद का घर हो। दूसरी ओर फिरोज ने भी इस घर का फर्नीचर खुद तैयार किया था। वे पहले से ही लकड़ी का काम जानते थे। 

साल 1944 और 46 में इंदिरा ने अपने दोनों बेटो राजीव और संजय गांधी को जन्म दिया। हालाँकि इस बीच उनकी भीतर में राजनीति पिता की तरह मुख्य धारा की राजनीति में आने की दिलचस्पी जगी। ऐसे में वो अपने पिता का साथ देने के लिए उनके पास आ गईं। यहाँ से उनके रिश्ते में खटास आने लग गयी। फिरोज़ इंदिरा के जाने से अकेले पड़ गए। दोनों के रिश्ते में पहले की जैसी मिठास नहीं बची। इंदिरा जहाँ पिता के साथ राजनीति में सक्रीय हो गयी तो वहीँ फिरोज ‘नेशनल हेरल्ड’ की जिम्मेदारी संभालने लगे। 

इस बीच एक बात जो फिरोज और नेहरू के बीच में काफी अजब थी वो ये थी की फिरोज भले ही कांग्रेस पार्टी से सांसद थे। लेकिन इसके बावजूद वो लगातार कांग्रेस सरकार के खिलाफ छापते थे और इस कदर छापते थे की लगता था की मानो उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ दी हो। 

आजादी के बाद कई व्यापारी वर्ग राजनेताओ से नजदीकी बढ़ने लगे थे। साल 1955 में फिरोज ने Ram Kishan Dalmia जो की उस समय एक बैंक और insurance कंपनी के चैयरमेन के विषय में खुलासा करते हुए लिखा की उसके द्वारा इन कम्पनियो का पैसा Bennett and Coleman के टेकओवर के लिए इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद साल 1958 में उन्होंने हरिदास मुंध्रा घोटाले को उजागर किया ख़ास बात ये थी की इसमें LIC का भी नाम सामने आया था। इस घोटाले ने नेहरू की साफ़ छवि को बहुत बड़ा धक्का लगाया था और तब के वित्त मंत्री  T.T. Krishnamachari को तो इस घटनाक्रम के वजह से इस्तीफ़ा भी देना पड़ा था। 

फिरोज अपने इसी मिजाज के वजह से जनता के बीच में खासे लोकप्रिय रहे वहीँ अपने इस छवि के चलते उनका राजनीति में भी सम्मान काफी बना रहा और उन्हें हमेशा एक स्पष्टवादी नेता माना गया।