खुद को बंगाल का ओवैसी क्यों बता रहे हैं हुमायूं कबीर, TMC के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
पश्चिम बंगाल में चुनाव में अभी काफी समय बचा है, लेकिन राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। पिछले कुछ दिनों से सस्पेंड TMC MLA हुमायूं कबीर चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्होंने ममता बनर्जी के वोट बैंक को खत्म करने का इरादा जाहिर किया है। कबीर ने ऐलान किया है कि वह हैदराबाद के ओवैसी के साथ मिलकर बंगाल में AIMIM जैसी नई पार्टी बनाएंगे। उन्होंने खुद को बंगाल का ओवैसी भी कहा है।
सस्पेंड TMC MLA हुमायूं कबीर ने खुद को "बंगाल का ओवैसी" कहा है। नई पार्टी बनाकर वह TMC के 27% मुस्लिम वोट बैंक को खत्म करने की योजना बना रहे हैं, जिससे पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। हालांकि, यह आसान नहीं है। हुमायूं कबीर AIMIM के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं, हालांकि ओवैसी पहले ही ऐसी बातों से इनकार कर चुके हैं।
ओवैसी ने अपनी बात कह दी है - हुमायूं
हुमायूं कबीर ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मैंने ओवैसी से बात की है। ओवैसी ने मुझे अपनी बात कह दी है कि वह हैदराबाद के ओवैसी हैं और मैं बंगाल का ओवैसी हूं।" उन्होंने आगे कहा, "मैं 10 दिसंबर को कोलकाता जाऊंगा और अपनी पार्टी कमिटी बनाऊंगा। उसके बाद, मैं 22 दिसंबर को लाखों सपोर्टर्स के साथ अपनी पार्टी लॉन्च करूंगा।"
क्या हुमायूं ममता बनर्जी के लिए मुसीबत बनेंगे?
हुमायूं कबीर पिछले एक महीने से पूरे देश में सुर्खियों में हैं। तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें उनके विवादित बयानों और बाबरी मस्जिद के शिलान्यास के लिए पार्टी से निकाल दिया था। मीडिया से बातचीत के दौरान, उन्होंने अब अपने इरादे साफ कर दिए हैं। हुमायूं ने कहा कि वह इस चुनाव में 135 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। ये ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी अहम भूमिका निभाती है। वह बंगाल चुनाव में गेम-चेंजर साबित होंगे। तृणमूल कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक खत्म हो जाएगा।
बंगाल में मुस्लिम वोट ममता बनर्जी का माना जाता है। यह करीब 27 से 28 परसेंट है। अगर हुमायूं अगले साल के चुनाव में इस वोट बैंक को 5 से 7 परसेंट भी कम करने में कामयाब हो जाते हैं, तो यह ममता बनर्जी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।