सीएम ममता बनर्जी को क्यों लगता है अरविंद केजरीवाल के मुद्दे से 2026 में फिर 'खेला' कर सकेंगी? चुनाव से पहले ही माहौल बनाने लगी ममता
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अब लगभग 10 महीने ही बचे हैं। राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में चुनाव होने वाले हैं। इससे ठीक पहले उन्होंने बंगाली भाषा के मुद्दे को तेज़ कर दिया है। उन्होंने देश के कई हिस्सों में अवैध बांग्लादेशियों के मुद्दे को बंगालियों के उत्पीड़न से जोड़ दिया है। गुरुवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अब हमें फिर से भाषा आंदोलन करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों को बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिया जा रहा है। उन्हें काम करने से रोका जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि यह स्थिति भाषाई आतंकवाद जैसी है।
भाषा को मुद्दा बनाकर और एक नए आंदोलन की बात करके ममता बनर्जी ने संदेश दिया है कि वह इस मुद्दे को चुनाव तक खींचने की तैयारी में हैं। ममता बनर्जी पहले भी चुनावों में बांग्ला कार्ड खेलती रही हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का रुख एक बार फिर उसी दिशा में बढ़ता दिख रहा है। ममता दीदी ने कहा, 'बंगाली भाषा के खिलाफ जिस तरह का भाषाई आतंकवाद शुरू हुआ है, वह खतरनाक है। बंगाली दुनिया की 5वीं सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश में 30 करोड़ लोग बंगाली भाषी हैं। फिर भी इन लोगों को जेल में डाला जा रहा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ मेरे बारे में नहीं, बल्कि सभी बंगाली भाषी लोगों के बारे में है। इस तरह लोगों की भाषा पर हमला नहीं किया जा सकता। बंगाल हमारे लिए सब कुछ है और हम अपनी ज़मीन बचाने के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने कहा कि बंगाली भाषा के नाम पर किसी को भी हिरासत में लेने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। दरअसल, हाल ही में एनसीआर के गुरुग्राम में कुछ बंगाली भाषी लोगों को हिरासत में लिया गया था। आपको बता दें कि बंगाली भाषी लोगों की आबादी बंगाल के अलावा असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में है।