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Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti: बंगाल में ‘पराक्रम’ से गरमाई सियासत, नेताजी की जंयती पर क्यों बढ़ी हलचल?

 

पश्चिम बंगाल में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले बंगाल की राजनीति उबाल पर है। विधानसभा चुनावों के मद्देनज प्रतीक और विचारों की राजनीति को लेकर बवाल मचा है। इस बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर बीजेपी और टीएमसी के बीच राजनीति शूरू हो गई है। 23 जनवरी को पीएम मोदी जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जंयती के अवसर पर कोलकाता में आयोजित पराक्रम दिवस समारोह को संबोधित करेंगे।

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 8 किलोमीटर की पदयात्रा करे्ंगी।  इसके साथ ही पीएम मोदी कोलकाल के विक्योरिया मेमोरियल में पराक्रम दिवस समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले हैं। इस कार्यक्रम में ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया है। हालांकि, अभी तक आधिकारिक तौर से स्पष्ट नहीं हो सका है कि बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल होंगी या नहीं। इस कार्यक्रम में अगर ममता बनर्जी शामिल होती हैं तो बंगाल के चुनाव से पहले राजनीति की बड़ी तस्वीर सामने आएगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम ममता एक कार्यक्रम में एक साथ नजर आएंगे।

बंगाल चुनावों के नजरिये से देखें तो 23 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोसी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों का सियासी मायने में काफी अहम हैं। गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां जनाधार मजबूत करने में लगें हैं। हालांकि, इस बार बंगाल की सत्ता किसके हाथों होगी। इस सवाल पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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