उत्तराखंड में 90 हजार मतदाताओं को करना होगा अहम चुनाव, SIR से पहले तय करनी होगी एक वोटर लिस्ट
उत्तराखंड में चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन—SIR) की शुरुआत से पहले करीब 90 हजार मतदाताओं को एक अहम फैसला लेना होगा। इन मतदाताओं को यह तय करना होगा कि वे बतौर सर्विस वोटर बने रहेंगे या फिर अपने गांव की मतदाता सूची में नाम रखना चाहेंगे। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि एक मतदाता का नाम एक ही मतदाता सूची में रह सकता है।
जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं जो सेना, अर्द्धसैनिक बलों या अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं और जिनका नाम सर्विस वोटर लिस्ट के साथ-साथ उनके मूल गांव की वोटर लिस्ट में भी दर्ज है। अब SIR प्रक्रिया के दौरान ऐसे दोहरे नामों को हटाने की कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले संबंधित मतदाताओं को स्वयं यह विकल्प चुनना होगा कि वे किस सूची में बने रहना चाहते हैं।
सिर्फ सर्विस वोटर ही नहीं, बल्कि सामान्य मतदाताओं पर भी यह नियम लागू होगा। ऐसे मतदाता जिनका नाम किसी कारणवश शहर और गांव—दोनों जगह की मतदाता सूची में दर्ज है, उन्हें भी एक जगह से अपना वोट कटवाना अनिवार्य होगा। चुनाव आयोग का उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध और त्रुटिरहित बनाना है, ताकि “एक व्यक्ति–एक वोट” के सिद्धांत को सख्ती से लागू किया जा सके।
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान घर-घर जाकर सत्यापन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में अगर किसी मतदाता का नाम दो जगह पाया गया तो नियमों के तहत एक नाम स्वतः हटाया जा सकता है। इसलिए आयोग ने पहले ही मतदाताओं से अपील की है कि वे स्वयं आगे आकर सही विकल्प का चयन करें।
इस फैसले का असर खासतौर पर उन लोगों पर पड़ेगा जो नौकरी या पढ़ाई के कारण शहरों में रह रहे हैं, लेकिन उनका नाम अब भी गांव की वोटर लिस्ट में दर्ज है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता वहीं वोट डाल सकता है, जहां वह स्थायी या वास्तविक रूप से निवास करता है।
चुनाव आयोग ने सभी संबंधित मतदाताओं से समय रहते आवश्यक फॉर्म भरने और निर्वाचन कार्यालय से संपर्क करने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि समय पर निर्णय लेने से मतदाताओं को भविष्य में किसी तरह की असुविधा या मतदान के अधिकार से वंचित होने की स्थिति से बचाया जा सकेगा।