महिलाओं के लिए बड़ी सौगात, फिर भी नहीं दिखा उत्साह, एकल महिला स्वरोजगार योजना को नहीं मिल रही अपेक्षित प्रतिक्रिया
राज्य सरकार द्वारा एकल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई "एकल महिला स्वरोजगार योजना" को उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। योजना के तहत महिलाओं को दो लाख रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें 75 प्रतिशत तक की राशि माफ की जाएगी। बावजूद इसके, योजना को लेकर राज्यभर में उदासीनता देखी जा रही है।
योजना की शुरुआत इस वित्तीय वर्ष में 18 जून को की गई थी। सरकार ने पहले चरण में 2,000 महिलाओं को इस योजना का लाभ देने का लक्ष्य तय किया है। लेकिन योजना शुरू होने के लगभग एक महीना बीत जाने के बाद भी अब तक केवल 23 महिलाओं ने आवेदन किया है। यह आंकड़ा सरकार की अपेक्षा से बेहद कम है और यह दर्शाता है कि या तो योजना की जानकारी सही तरीके से महिलाओं तक नहीं पहुंच पाई है या फिर महिलाओं को अब भी सरकारी प्रक्रियाओं पर भरोसा नहीं है।
क्या है योजना का उद्देश्य?
यह योजना मुख्य रूप से तलाकशुदा, विधवा, परित्यक्त और अविवाहित महिलाओं के लिए शुरू की गई है, जिनकी उम्र 18 से 55 वर्ष के बीच है। इसका उद्देश्य उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इस राशि में से 75% तक की राशि (अधिकतम 1.5 लाख रुपये) सरकार द्वारा माफ की जाएगी, जबकि केवल 25% राशि ही लाभार्थी को चुकानी होगी।
आवेदन में आ रही समस्याएं
विभागीय सूत्रों के अनुसार, कम आवेदन आने के पीछे जागरूकता की कमी, दस्तावेजों की जटिलता, और सरकारी प्रक्रियाओं को लेकर महिलाओं में भय जैसे कारण सामने आ रहे हैं। कई जिलों से यह भी रिपोर्ट मिली है कि योजना के बारे में सही जानकारी न मिलने के कारण महिलाएं आवेदन करने से हिचक रही हैं।
विभाग उठा रहा जागरूकता अभियान
राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग ने अब योजना के प्रचार-प्रसार को तेज करने का निर्णय लिया है। विभागीय सचिव ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वे आंगनबाड़ी सेविकाओं, महिला समूहों और पंचायत प्रतिनिधियों की मदद से योजना की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाएं। इसके साथ ही आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।