बरेली में सहकारी बैंक की फरीदपुर शाखा में ₹1.31 करोड़ का घोटाला, दो शाखा प्रबंधक और दो कैशियरों पर एफआईआर दर्ज
जिला सहकारी बैंक की फरीदपुर शाखा में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि समेत अन्य सरकारी योजनाओं की रकम में भारी घोटाले का मामला सामने आया है। इस घोटाले में कुल ₹1.31 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है।
घोटाले के आरोप में निलंबित किए गए दो शाखा प्रबंधकों और दो कैशियरों के खिलाफ मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इन सभी पर निष्क्रिय हो चुके पुराने खातों को फर्जी तरीके से सक्रिय कर लाखों रुपये की सरकारी राशि गबन करने का आरोप है।
पुराने निष्क्रिय खातों का किया गया दुरुपयोग
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बैंककर्मियों ने जानबूझकर उन खातों को निशाना बनाया जो वर्षों से निष्क्रिय पड़े थे। इन खातों को बैंक के सिस्टम में फिर से "सक्रिय" दिखाकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और अन्य सरकारी योजनाओं की रकम को इन्हीं खातों में ट्रांसफर करवाया गया।
इसके बाद वह रकम धीरे-धीरे निकाल ली गई या दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दी गई।
बैंक ऑडिट में सामने आया घोटाला
इस घोटाले का खुलासा बैंक के आंतरिक ऑडिट के दौरान हुआ, जब ₹1.31 करोड़ रुपये का हिसाब मेल नहीं खाया। बैंक प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से दो शाखा प्रबंधकों और दो कैशियरों को निलंबित कर दिया और विस्तृत जांच शुरू की।
ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर फरीदपुर थाने में संबंधित बैंककर्मियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
चारों बैंककर्मियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) समेत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बताया कि सभी आरोपियों की गतिविधियों की गहराई से जांच की जा रही है और उनके बैंक ट्रांजैक्शन, कॉल डिटेल्स और संभावित नेटवर्क की भी पड़ताल की जाएगी।
बैंक प्रशासन भी कटघरे में
इस घोटाले के सामने आने के बाद जिला सहकारी बैंक की निगरानी प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई वर्षों से निष्क्रिय खातों को फिर से सक्रिय किए जाने की प्रक्रिया को लेकर बैंक के उच्चाधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है।
पुलिस और प्रशासन सख्त
फरीदपुर पुलिस और जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। अगर जरूरत पड़ी, तो और भी लोगों के नाम जांच में जोड़े जा सकते हैं।
ग्राहकों में बढ़ी चिंता
इस घोटाले के बाद बैंक के ग्राहकों में भी चिंता का माहौल है। वे अपने खातों और जमा रकम को लेकर आशंकित हैं। बैंक प्रशासन ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि सभी खातों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है और दोषियों को कठोर सजा दी जाएगी।
यह मामला दिखाता है कि सरकारी योजनाओं की राशि में किस तरह अंदरूनी मिलीभगत से घोटाले को अंजाम दिया जा सकता है, और इससे पारदर्शिता की जरूरत एक बार फिर उजागर हुई है।