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योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान, “राम, कृष्ण और शंकर के बिना भारत का पत्ता भी नहीं हिलता”

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण और देवाधिदेव महादेव शंकर के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उनका स्पष्ट संदेश था कि ये तीनों महान देवता भारतीय सभ्यता, संस्कृति और अस्तित्व की आधारशिला हैं।

योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा,

भारत में भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण और भगवान शंकर के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता। जब तक इनकी पूजा और स्मरण होता रहेगा, तब तक कोई भी ताकत भारत का बाल भी बांका नहीं कर सकती।”

मुख्यमंत्री योगी ने अपने वक्तव्य में डॉ. राम मनोहर लोहिया का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया जैसे प्रखर समाजवादी विचारक भी मानते थे कि भारत की आत्मा इन तीन दिव्य शक्तियों में ही निहित है। उन्होंने लोहिया के शब्द दोहराते हुए कहा:

जब तक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण और देवों के देव भगवान शंकर की पूजा होती रहेगी, तब तक कोई माई का लाल भारत को छू भी नहीं सकता।

योगी आदित्यनाथ के इस बयान को देश की सांस्कृतिक अस्मिता से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह धार्मिक आस्था केवल परंपरा नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रीय चरित्र और सुरक्षा की भावना से भी जुड़ी हुई है।

सांस्कृतिक विरासत का संदेश

मुख्यमंत्री का यह बयान उस समय आया है जब देशभर में भारतीय संस्कृति, राम मंदिर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ जैसे धार्मिक स्थलों को लेकर नई चेतना और जागरूकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ ने इन धार्मिक प्रतीकों को सिर्फ पूजा तक सीमित न मानकर, उन्हें भारतीय जीवनशैली, मूल्यों और आत्मबल का प्रतीक बताया।

राजनीतिक और सामाजिक संकेत

विशेषज्ञों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ का यह वक्तव्य सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना को मजबूत करने का एक रणनीतिक प्रयास है। राम, कृष्ण और शिव जैसे चरित्रों का स्मरण करके वे जनता को यह संदेश दे रहे हैं कि भारत की आत्मा सनातन संस्कृति से ही जीवंत है।

इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। समर्थक इसे "गर्व की बात" बता रहे हैं, तो वहीं विरोधी इसे "राजनीतिक बयानबाजी" करार दे रहे हैं। लेकिन एक बात तो तय है — योगी आदित्यनाथ का यह बयान एक बार फिर धार्मिक और सांस्कृतिक विमर्श को केंद्र में ले आया है।

"राम, कृष्ण और शिव भारतीय आत्मा के प्रतीक हैं, इन्हें भुला कर भारत का अस्तित्व नहीं समझा जा सकता," — योगी आदित्यनाथ