जहां जीवन भी बचा और शिवलिंग भी स्वयं प्रकट हुआ, आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम
कानपुर-फतेहपुर सीमा पर स्थित मिरई गाँव सैकड़ों वर्षों से आस्था, रहस्य और चमत्कारों का अद्भुत संगम रहा है। गाँव के मध्य स्थित झारखंडी बाबा का मंदिर न केवल भक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि कई अविश्वसनीय घटनाओं का साक्षी भी रहा है।
गाय अपने आप झाड़ियों में जाकर दूध देती है
मंदिर से जुड़ी एक और अद्भुत कहानी सामने आई है। मिरई खरौली और आंग में रहने वाले भक्तों का कहना है कि वर्षों पहले एक व्यक्ति की गाय रहस्यमय तरीके से हर दिन कम दूध देने लगी थी। जब उन्होंने उस पर नज़र रखी, तो उन्होंने देखा कि गाय खुद गाँव के बाहर झाड़ियों में जाकर किसी अदृश्य शक्ति को दूध पिलाती और फिर वापस आ जाती। जब उन्होंने झाड़ियों के अंदर जाकर देखा, तो उन्हें वही पवित्र शिवलिंग दिखाई दिया, जो बाद में झारखंडी बाबा के नाम से पूजे जाने लगे।
शिव ने आत्महत्या कर रहे एक व्यक्ति की जान बचाई
मंदिर के तपस्वी संत कृष्णदास बताते हैं कि एक बार ठाकुर समुदाय का एक व्यक्ति जीवन से निराश होकर पास के एक बरगद के पेड़ पर आत्महत्या करने जा रहा था। तभी झाड़ियों से एक आवाज़ आई - "तुम आत्महत्या क्यों कर रहे हो? मेरे पास आओ।" जब उसने अंदर झाँका तो उसे एक प्राचीन शिवलिंग दिखाई दिया। उसका जीवन बदल गया और उसी स्थान पर एक मंदिर स्थापित हो गया।
स्वयंभू शिवलिंग, जिसकी ऊँचाई साल में एक बार चावल के दाने के बराबर बढ़ जाती है
इस स्थान पर स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है और कहा जाता है कि इसकी ऊँचाई धीरे-धीरे बढ़ रही है। यही कारण है कि आज तक मंदिर पर छत नहीं डाली गई - छत बनाने का हर प्रयास विफल रहा।
शिवलिंग की खोज आस्था का आधार बनी
ग्रामीणों का मानना है कि यह स्थान हज़ारों साल पुराना हो सकता है। चरवाहे गोपाल और आत्महत्या से बचाए गए व्यक्ति की कहानियाँ बताती हैं कि इस स्थान पर हमेशा से कोई अदृश्य दैवीय शक्ति सक्रिय रही है।
अब मंदिर ट्रस्ट का गठन, रुद्राभिषेक निःशुल्क
हाल ही में श्रद्धालुओं के सहयोग से एक मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया है, जिसकी देखरेख में श्रावण मास में रुद्राभिषेक निःशुल्क किया जाता है। इसके अलावा, वर्ष भर प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक का आयोजन होता है। मंदिर की पूजा-अर्चना का दायित्व अब सेवाभावी अनूप पांडे और शिवम पांडे संभाल रहे हैं।
श्रावण में लगता है विशाल मेला
श्रावण के सोमवार को यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मेले, भंडारे, भजन-कीर्तन सहित विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। झारखंडी बाबा का यह मंदिर केवल आस्था का ही नहीं, बल्कि जीवन, चमत्कार और दिव्यता का अनूठा प्रतीक है। यहाँ हर भक्त की सच्ची मनोकामना पूरी होती है।