बारिश के बाद जलजमाव, जिम्मेदारी सिर्फ बारिश की नहीं, व्यवस्था पर भी सवाल जरूरी
मॉनसून का मौसम है, बारिश होगी, वो भी कभी-कभी जोरदार। इससे कोई इनकार नहीं। लेकिन सवाल ये है कि बारिश के एक-दो दिन बाद भी अगर सड़कें पानी से लबालब भरी रहें, तो क्या इसकी जिम्मेदारी सिर्फ बादलों पर थोप दी जा सकती है?शहर के कई हिस्सों में हाल ही में हुई बारिश के बाद जो जलजमाव की तस्वीरें सामने आई हैं, वे बताती हैं कि यह सिर्फ मौसम की मार नहीं, बल्कि शहरी प्रबंधन की नाकामी भी है।
नगर आयुक्त का बयान और जनता का सवाल
नगर आयुक्त का कहना है कि
“बहुत ज्यादा पानी गिरा इसलिए ये हाल हो गया।”
लेकिन जनता पूछ रही है — क्या हर बार जब ज्यादा बारिश होगी तो शहर डूबेगा? क्या नाली-नालों की सफाई, जलनिकासी व्यवस्था, और विकास के नाम पर हुए करोड़ों के काम सिर्फ कागज़ों पर ही रहेंगे?
असली सवाल व्यवस्था पर
बारिश की कोई गारंटी नहीं होती कि वह कब और कितनी गिरेगी। लेकिन यह तो तय है कि हर साल बारिश होगी। तो फिर हर साल वही पुराने नाले ओवरफ्लो क्यों होते हैं? सीवर क्यों उफान मारते हैं? और सबसे जरूरी, जलनिकासी का सिस्टम फेल क्यों हो जाता है?
जनता का गुस्सा वाजिब है
जलजमाव की वजह से स्कूल जाने वाले बच्चे, ऑफिस जा रहे लोग, और रोज कमाने-खाने वाले मजदूर — सभी परेशान हैं। बीमारियां फैलने का खतरा, ट्रैफिक जाम, और सड़कें टूटने का डर अलग से।