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यूपी में 5000 स्कूलों के मर्जर को हाईकोर्ट से हरी झंडी, बच्चों की याचिका खारिज

 

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा किए गए 5000 प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से कानूनी समर्थन मिल गया है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सरकारी फैसले को सही ठहराते हुए सीतापुर जिले के 51 बच्चों की याचिका को खारिज कर दिया। अब राज्य सरकार को मर्जर की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है।

🧑‍⚖️ अदालत ने क्या कहा?

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि स्कूल मर्जर से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा और उन्हें दूरदराज के स्कूलों में जाना पड़ेगा। लेकिन अदालत ने सरकार की योजना को व्यावहारिक और जनहित में बताया

अदालत की टिप्पणी:

"राज्य सरकार का यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है और इसमें हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं बनता।"

📜 क्या थी याचिका?

सीतापुर जिले के 51 बच्चों की ओर से दाखिल याचिका में स्कूलों के मर्जर पर रोक लगाने की मांग की गई थी। उनका कहना था कि इससे गांव-गांव में मौजूद छोटे स्कूलों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा

🏫 सरकार का पक्ष

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि यह मर्जर नीति स्कूलों में संसाधनों के समुचित उपयोग, शिक्षक उपलब्धता और बेहतर शैक्षणिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है। सरकार का दावा है कि इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा, अधिक योग्य शिक्षक और सुविधाजनक परिवहन व्यवस्था मिल सकेगी।

🔍 आगे क्या?

इस फैसले के बाद यूपी सरकार अब राज्यभर के 5000 स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ा सकेगी। शिक्षा विभाग ने पहले ही मर्जर से संबंधित डाटा एनालिसिस और क्षेत्रीय समीक्षा शुरू कर दी थी, जो अब अंतिम चरण में पहुंच सकती है।