×

उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल: 2027 विधानसभा चुनाव से पहले क्यों चर्चा में हैं राकेश टिकैत और बृजेश पाठक की मुलाकात?

 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 के विधानसभा चुनाव भले ही अभी दो साल दूर हों, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी जमीन तैयार करना शुरू कर दिया है। खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता की हैट्रिक बनाने के इरादे से नए सियासी समीकरण गढ़ने में जुटी है। हाल ही में किसान नेता राकेश टिकैत और प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस मुलाकात को भले ही शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा हो, लेकिन इसके पीछे की राजनीतिक रणनीति अब धीरे-धीरे सामने आ रही है।

किसान नेता और उपमुख्यमंत्री की मुलाकात के निहितार्थ

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रमुख राकेश टिकैत और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की मुलाकात लखनऊ में हुई। बैठक में किसान मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इस मुलाकात के सियासी मायने क्या हैं। टिकैत ने जहां किसानों की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखा, वहीं बृजेश पाठक ने मुलाकात को "सौहार्दपूर्ण" बताया। दोनों नेताओं ने मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि संदेश देना सिर्फ किसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी है। इससे पहले टिकैत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाने वाले पूर्व DGP प्रशांत कुमार से भी मिल चुके हैं।

टिकैत की राजनीतिक हैसियत और BJP की रणनीति

राकेश टिकैत न सिर्फ एक किसान नेता हैं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ है। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया था और 2022 तथा 2024 के चुनावों में उन्होंने भाजपा के खिलाफ खुले तौर पर अपील की थी। इसका असर पश्चिम यूपी की सीटों पर साफ देखा गया। 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, कैराना, रामपुर और संभल जैसे इलाकों में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा। 2024 में तो RLD से गठबंधन के बावजूद भाजपा कई सीटों पर हार गई। ऐसे में पार्टी अब 2027 से पहले समीकरण सुधारने में जुटी है, जिसमें टिकैत जैसे प्रभावशाली चेहरों से संवाद अहम भूमिका निभा सकता है।

बृजेश पाठक: समीकरण साधने वाले नेता

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को योगी सरकार में न सिर्फ ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधि माना जाता है, बल्कि उन्हें सरकार का "बैलेंसिंग फैक्टर" भी कहा जाता है। 2027 से पहले बीजेपी की कोशिश है कि वह सभी प्रमुख जातीय समूहों और क्षेत्रीय प्रभाव रखने वाले नेताओं को साधे, ताकि सत्ता में वापसी की राह आसान हो सके। बृजेश पाठक की टिकैत से मुलाकात इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। पार्टी चाहती है कि 2027 के पहले ही जाट समुदाय के भीतर बीजेपी की छवि बेहतर की जाए और इसके लिए टिकैत जैसे नेताओं को तटस्थ या समर्थन की ओर लाना आवश्यक है।

टिकैत की दोहरी रणनीति: पाठक से भेंट, मायावती की तारीफ

हालांकि राकेश टिकैत की सियासत सिर्फ एक दिशा में नहीं बहती। पाठक से मुलाकात के बाद उन्होंने सुल्तानपुर में बसपा प्रमुख मायावती की तारीफ करते हुए उन्हें "किसानों के लिए नंबर वन मुख्यमंत्री" बताया। उन्होंने कहा कि मायावती के कार्यकाल में गन्ना मूल्य में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई थी और किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए थे। टिकैत का यह बयान यह दर्शाता है कि वे अभी किसी एक राजनीतिक धड़े की ओर झुके नहीं हैं। वे स्पष्ट रूप से यह संकेत दे रहे हैं कि किसानों की नीतियों के आधार पर ही वे राजनीतिक समर्थन तय करेंगे।