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ट्रैफिक पुलिस ने सीखे मूक-बधिरों से संवाद के लिए इशारे और संकेत

 

मूक-बधिर लोगों के साथ संवाद को सरल और प्रभावी बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने बुधवार को पुलिस लाइंस में विशेष प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें विभिन्न इशारों और संकेतों के माध्यम से जानकारी देने और समझने की विधि सिखाई गई।

प्रशिक्षण में बताया गया कि नाक पर उंगली रखने का मतलब महिला के बारे में बातचीत करना है, वहीं मूंछ को छूने का इशारा युवक के बारे में जानकारी देने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, गर्दन काटने का इशारा देकर हथेली दिखाने का मतलब लाल बत्ती होता है। इन संकेतों का उद्देश्य मूक-बधिर लोगों के साथ त्वरित और स्पष्ट संवाद स्थापित करना है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मूक-बधिर यात्री अक्सर सड़क पर आने-जाने के दौरान समस्या का सामना करते हैं। ट्रैफिक पुलिसकर्मी यदि इन संकेतों को समझने और सही प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे, तो यातायात सुचारू रखने और दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

प्रशिक्षक ने कहा कि मूक-बधिर लोगों के लिए अपनी पहचान और जानकारी साझा करना कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। प्रशिक्षण में पुलिसकर्मियों को यह सिखाया गया कि कैसे सरल और सहज इशारों के माध्यम से किसी मूक-बधिर व्यक्ति से नाम, दिशा और अन्य जरूरी जानकारी ली जा सकती है।

ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने इस प्रशिक्षण में उत्साहपूर्वक भाग लिया और विभिन्न संकेतों को समझने और प्रयोग करने की प्रैक्टिकल अभ्यास किया। अधिकारियों ने कहा कि यह प्रशिक्षण न केवल मूक-बधिर लोगों की सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि पुलिस और आम नागरिकों के बीच संवाद को भी मजबूत करेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क सुरक्षा में संवाद का सही होना बेहद महत्वपूर्ण है। मूक-बधिर या श्रवण बाधित लोग अक्सर वाहन और ट्रैफिक संकेतों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। ऐसे में पुलिसकर्मी द्वारा संकेतों और इशारों को समझना और उनका सही प्रयोग करना दुर्घटनाओं को रोकने में मददगार साबित होगा।

स्थानीय यातायात अधिकारी ने बताया कि यह प्रशिक्षण नियमित रूप से दिया जाएगा और पुलिसकर्मी इसे अपने कार्यस्थल पर लागू करेंगे। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में सड़क पर मूक-बधिर लोगों के लिए विशेष संकेत और बोर्ड भी लगाए जा सकते हैं, ताकि उनका मार्गदर्शन और भी सरल हो सके।

स्थानीय नागरिकों ने इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मूक-बधिर लोग अक्सर सड़क पर अपनी समस्या व्यक्त नहीं कर पाते, और इस प्रशिक्षण से पुलिसकर्मियों की संवेदनशीलता बढ़ेगी। इसके माध्यम से यातायात सुचारू और सुरक्षित बनेगा।

कुल मिलाकर, मूक-बधिर लोगों के साथ संवाद के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा किए गए इस प्रशिक्षण से न केवल पुलिसकर्मियों की क्षमता बढ़ी है, बल्कि आम नागरिकों और यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। यह पहल सड़क पर समझ और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।