यागराज के बैरहना इलाके का 168 साल पुराना गोरा कब्रिस्तान, शाम 6 बजे बंद होने की रहस्यमयी कहानी
सिटी से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित बैरहना इलाका एक ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थल के लिए जाना जाता है। यहां स्थित है गोरा कब्रिस्तान, जो करीब 168 साल पुराना है और इतिहास में अपनी अनोखी डिजाइन, नक्काशी और निर्माण शैली के लिए विख्यात है। कहा जाता है कि इस कब्रिस्तान में 600 से अधिक अंग्रेज अफसरों की कब्रें हैं, जो ब्रिटिश शासनकाल के समय इस क्षेत्र में तैनात थे।
दिन के समय यह कब्रिस्तान पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए खुला रहता है और लोग इसकी वास्तुकला और प्राचीनता को देखकर अचंभित हो जाते हैं। लेकिन जैसे ही शाम के 6 बजते हैं, इस जगह पर पूरी तरह से एंट्री बंद हो जाती है। यह नियम सरकार द्वारा लागू किया गया है और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सीधे सरकार के अधीन है।
गोरा कब्रिस्तान के शाम को बंद होने के पीछे एक रहस्यमयी कहानी भी काफी प्रचलित है। स्थानीय लोग और कई पर्यटक कहते हैं कि शाम के बाद यहां अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती हैं और कुछ अंधकारमय अनुभव होते हैं। कई वर्षों से चली आ रही इस परंपरा और रहस्य ने कब्रिस्तान को एक मायावी छवि दे रखी है।
ऐसा माना जाता है कि ब्रिटिश काल के दौरान यह कब्रिस्तान ब्रिटिश सैनिकों और अधिकारियों के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में स्थापित किया गया था। इसकी संरचना और नक्काशी में उस दौर की कला और संस्कृति की झलक मिलती है। लेकिन इस जगह से जुड़े कई किस्से और कथाएं लोगों को शाम के बाद यहां आने से रोकती हैं।
सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से शाम 6 बजे के बाद गोरा कब्रिस्तान में प्रवेश पर पाबंदी लगाई है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या असुरक्षा से बचा जा सके। साथ ही, इस कदम से इस ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा और संरक्षण भी बेहतर तरीके से किया जा रहा है।
बैरहना का गोरा कब्रिस्तान न केवल इतिहास में ब्रिटिश शासन की छाप को दर्शाता है, बल्कि इसके साथ जुड़ी कथाएं और परंपराएं इसे एक खास रहस्यमयी स्थल बनाती हैं। यह जगह आज भी अपनी पुरानी पहचान के साथ पर्यटकों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करती है, जो यहां आकर इतिहास के पन्नों को जीवंत महसूस करते हैं।