“कुंजगलियों में ही बसते हैं ठाकुर बांकेबिहारी, इन्हें ऐसे ही रहने दो” — श्रद्धालु ने कॉरिडोर का किया विरोध, वीडियो वायरल
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के कॉरिडोर निर्माण को लेकर जारी विवाद के बीच मंगलवार को पंजाब के अमृतसर से आए एक श्रद्धालु ने मंदिर प्रांगण में भावुक अंदाज में विरोध दर्ज कराया। श्रद्धालु राजू ने एक बैनर के साथ ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर परिसर में पहुंचकर कहा — “कुंजगलियों में ही ठाकुर बांकेबिहारी बसते हैं, इन्हें ऐसे ही रहने दो।”
राजू का यह बयान और उसकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसे लेकर मंदिर के आसपास माहौल एक बार फिर संवेदनशील हो गया है।
श्रद्धालु ने जताई गहरी आस्था और चिंता
राजू, जो अमृतसर के निवासी हैं, ने अपने साथ एक बैनर लेकर मंदिर परिसर में प्रवेश किया, जिस पर लिखा था —
“बांकेबिहारी जी को कॉरिडोर नहीं चाहिए, वे वृंदावन की कुंजगली में ही खुश हैं।”
उन्होंने कहा कि बांकेबिहारी जी का स्वरूप, उनकी भक्ति और भावनाएं इन्हीं संकरी गलियों में बसती हैं। अगर आप इन गलियों को तोड़कर आधुनिक कॉरिडोर बनाएंगे, तो वृंदावन की आध्यात्मिक पहचान खो जाएगी।
सोशल मीडिया पर मिल रही प्रतिक्रियाएं
इस पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें श्रद्धालु राजू भावुक स्वर में अपनी बात कहते दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और हजारों लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कई यूजर्स श्रद्धालु की भावना का समर्थन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वृंदावन की पहचान उसकी पारंपरिक गलियों, भक्ति रस और पुराने स्वरूप से है, जिसे संरक्षित रखना चाहिए।
कॉरिडोर निर्माण को लेकर पहले से विवाद
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित बांकेबिहारी कॉरिडोर परियोजना का पहले से ही कई संत, स्थानीय व्यापारी और श्रद्धालु विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि यह परियोजना धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ छेड़छाड़ है।
वहीं, सरकार का कहना है कि परियोजना का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देना और भीड़ को व्यवस्थित करना है, जिससे किसी प्रकार की दुर्घटनाएं न हों।
स्थानीय प्रशासन सतर्क
श्रद्धालु द्वारा मंदिर प्रांगण में इस तरह विरोध दर्ज कराए जाने के बाद स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन सतर्क हो गया है। पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि कोई अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो।
सार्वजनिक भावना का सवाल
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि श्रद्धा और सुविधा के संतुलन को कैसे साधा जाए। जहां सरकार श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर चिंतित है, वहीं श्रद्धालुओं की भावनाएं पुराने स्वरूप को बनाए रखने की मांग कर रही हैं।
अब देखना यह होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार परियोजना में कोई बदलाव करती है या नहीं।