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तेजस्वी यादव का चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप: SIR प्रक्रिया को बताया अपारदर्शी, फर्जीवाड़े का लगाया आरोप

 

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत निर्वाचन आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision - SIR) पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे आंकड़े जमीनी सच्चाई से बिल्कुल अलग हैं, और यह पूरी प्रक्रिया असमान, अपारदर्शी और फर्जीवाड़े से भरी हुई है।

क्या बोले तेजस्वी यादव?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा:

“भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कल 80% फॉर्म जमा होने की जानकारी दी गई, लेकिन आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इनमें से कितने प्रपत्र सत्यापित, स्वच्छ, और वैध तरीके से भरे गए हैं।”

तेजस्वी ने आगे कहा कि उन्हें ग्रामीण इलाकों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि कई जगह बीएलओ (BLO) द्वारा मतदाता की जानकारी और सहमति के बिना ही प्रपत्रों पर फर्जी अंगूठे या हस्ताक्षर लगाकर उन्हें अपलोड किया जा रहा है।

80% आंकड़ा गुमराह करने वाला?

तेजस्वी यादव का आरोप है कि आयोग जो 80% फॉर्म अपलोड होने का दावा कर रहा है, वह केवल तकनीकी आंकड़ों तक सीमित है, जबकि प्रमाणिकता और पारदर्शिता का उसमें कोई विश्वसनीय आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि:

“आयोग सिर्फ अपलोडिंग की बात कर रहा है, सत्यापन और सहमति पर कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।”

चुनावी प्रक्रिया की वैधता पर सवाल

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की आधारशिला है और अगर उसी में फर्जीवाड़ा हो रहा है, तो इसका सीधा असर चुनाव की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर पड़ेगा।

उन्होंने निर्वाचन आयोग से मांग की कि:

  • बीएलओ की भूमिका की निष्पक्ष जांच कराई जाए

  • अपलोड हुए फॉर्मों का फिजिकल सत्यापन कराया जाए

  • मतदाता की सहमति और प्रमाणिकता सुनिश्चित करने की सख्त व्यवस्था लागू की जाए

सियासी निहितार्थ

तेजस्वी यादव का यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है। ऐसे में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में फर्जीवाड़े का आरोप लगाना न सिर्फ चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है, बल्कि विपक्ष इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बना सकता है।