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छात्रावास के नाम पर 10 लाख का घोटाला, अधीक्षिका निलंबित, डीएसडब्ल्यूओ पर भी जांच के आदेश

 

समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास में घोर अनियमितता का मामला सामने आया है। छात्रावास के रखरखाव के नाम पर दस लाख रुपये का बजट केवल कागजों में खर्च दिखाया गया, जबकि ज़मीन पर कोई कार्य नहीं हुआ। इस घोटाले का खुलासा छात्रों की शिकायत पर हुआ, जिसके बाद समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण के निर्देश पर जांच कराई गई।

जांच में अनियमितताएं साबित होने के बाद अधीक्षिका प्रवेश कुमारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, जिला समाज कल्याण अधिकारी (DSWO) के खिलाफ भी जांच बैठा दी गई है। मामला अब भ्रष्टाचार के गंभीर उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें छात्रों के हितों की खुली अनदेखी हुई।

क्या है पूरा मामला?

राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास, मुरादाबाद में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं के रखरखाव हेतु 10 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई थी। यह राशि भवन की मरम्मत, रंगाई-पुताई, साफ-सफाई और अन्य बुनियादी जरूरतों के लिए दी गई थी। हालांकि, छात्रों ने जब बदहाल स्थिति में छात्रावास में रहने की शिकायत की तो मामला उजागर हुआ।

छात्रों ने बताया कि न तो किसी प्रकार की मरम्मत हुई और न ही भवन में कोई साफ-सफाई कराई गई। शौचालय, बिजली व्यवस्था और पीने के पानी जैसी जरूरी सुविधाएं भी बदतर स्थिति में थीं। इसके बावजूद रिकॉर्ड में लाखों रुपये का खर्च दर्ज कर दिया गया था।

मंत्री ने लिया संज्ञान, हुई कार्रवाई

छात्रों की शिकायत सीधे समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण तक पहुंची, जिन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट पाया गया कि बजट का कोई वास्तविक उपयोग छात्रावास में नहीं हुआ है। इसके बाद अधीक्षिका प्रवेश कुमारी को निलंबित कर दिया गया और जिला समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ भी विभागीय जांच के निर्देश जारी किए गए हैं।

भ्रष्टाचार पर सख्ती का संदेश

इस कार्रवाई से सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि छात्र हितों के साथ खिलवाड़ करने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। असीम अरुण ने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए बनी योजनाओं का दुरुपयोग करना बेहद गंभीर अपराध है, और ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी