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बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण पर मचा सियासी बवाल, RJD सांसद मनोज झा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सियासत गरमा गई है। चुनाव आयोग द्वारा दिए गए निर्देश के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मोर्चा खोल दिया है। पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

RJD ने उठाए सवाल

RJD का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में फेरबदल की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। पार्टी का आरोप है कि

"यह कदम मतदाता सूची में मनमानी छंटनी और राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से उठाया गया है।"

सांसद मनोज झा ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग के आदेश को असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की अपील की है।

क्या है SIR आदेश?

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत चुनाव आयोग द्वारा सभी जिलों में मतदाता सूची का विस्तृत पुनरीक्षण कराया जा रहा है, ताकि फर्जी, मृत या दोहराए गए नामों को हटाया जा सके और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ा जा सके। यह प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता के लिहाज से आवश्यक मानी जाती है, लेकिन चुनाव से कुछ ही महीने पहले इसका शुरू होना अब विवाद का विषय बन गया है।

विपक्ष को साजिश की बू

RJD समेत विपक्षी दलों का आरोप है कि यह निर्णय राज्य सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत का नतीजा है, जिससे खास समुदायों या क्षेत्रों के मतदाताओं को सूची से बाहर किया जा सकता है। इस विषय को लेकर महागठबंधन दलों में नाराजगी साफ देखी जा रही है।

चुनाव आयोग ने किया बचाव

वहीं दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने कहा है कि

"SIR की प्रक्रिया एक नियमित और आवश्यक अभ्यास है, जिससे मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाया जा सके। इसमें किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं किया जाएगा। सभी संशोधन सार्वजनिक सूचना और सत्यापन के साथ होंगे।"

चुनाव से पहले बढ़ा सियासी तापमान

बिहार में यह मुद्दा अब राजनीतिक बयानबाजी का केंद्र बन चुका है। महागठबंधन इसे जनता के अधिकारों पर हमला बता रहा है, जबकि एनडीए गठबंधन इसे एक सुधारात्मक प्रक्रिया करार दे रहा है।