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रामलला दरबार में सावन की छटा, रजत हिंडोले पर विराजे रामलला और चारों भाई

 

रामनगरी अयोध्या में सावन मास की पावन छटा मंगलवार से श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भी बिखरने लगी है। नव्य-भव्य श्रीराम मंदिर में विराजमान रामलला अपने चारों भाइयों—भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न सहित रजत जड़ित हिंडोले पर विराजित किए गए। श्रावण शुक्ल पंचमी के शुभ अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ, जिसमें अर्चकों ने विधि-विधान के साथ भगवान राम और उनके भाइयों को हिंडोले में विराजमान कराया।

हर वर्ष की तरह इस बार भी सावन में रामलला के दरबार को विशेष रूप से सजाया गया है, लेकिन इस बार यह भव्यता और भी अधिक दर्शनीय रही क्योंकि अब रामलला नव-निर्मित मंदिर में विराजमान हैं। मंदिर के गर्भगृह में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। जैसे-जैसे आरती और झूला उत्सव की तैयारियां पूरी हुईं, पूरे परिसर में भक्ति और उल्लास का वातावरण छा गया।

रामलला को रजत (चांदी) से निर्मित विशेष हिंडोले में विराजित करने की परंपरा सावन के पावन महीने में झूलन उत्सव के रूप में निभाई जाती है। मंदिर के प्रधान अर्चक ने पंचामृत स्नान, वस्त्र-भूषण अर्पण और पुष्पाभिषेक के बाद रामलला सहित चारों भाइयों को रजत हिंडोले में झूला झुलाया। इसके साथ ही भजन-कीर्तन और शंखनाद से संपूर्ण वातावरण गूंज उठा।

मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार, पूरे सावन माह में रामलला को अलग-अलग प्रकार के हिंडोले में झुलाने की परंपरा निभाई जाएगी। रजत हिंडोले के बाद अब आगामी दिनों में कांच, लकड़ी, हाथी दांत और पुष्पों से सजाए गए हिंडोले में भी झुलाने की तैयारियां की जा रही हैं। इस झूलन उत्सव में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं और दर्शन कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं।

मंदिर परिसर को भी सावन की थीम पर सजाया गया है। हरे रंग की सजावट, बेल-पत्तियों से सुसज्जित द्वार और दीवारें, और हरियाली का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक आनंद से भर देता है। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु इस नयनाभिराम दृश्य को देखकर अभिभूत हो उठते हैं।

झूला उत्सव के इस विशेष अवसर पर मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं भी की हैं। दर्शन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। साथ ही गर्मी और बारिश को ध्यान में रखते हुए छायादार टेंट, पेयजल और प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था की गई है।