आगरा छावनी में सफाई व्यवस्था पर फिर उठे सवाल, 19 वर्षों से एक ही कंपनी को मिल रहा ठेका
शहर की छावनी क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को लेकर वर्षों से उठते सवालों के बीच अब एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। वर्ष 2006 से लेकर 2025 तक, यानी लगातार 19 वर्षों तक, छावनी परिषद द्वारा सफाई का ठेका मुख्य रूप से एक ही कंपनी—मेसर्स अग्रवाल एंड कंपनी को दिया जाता रहा है। यह जानकारी सामने आने के बाद ठेका प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
सफाई के नाम पर स्थायी ठेका?
आगरा छावनी परिषद द्वारा हर साल सफाई व्यवस्था का ठेका नए सिरे से दिए जाने का दावा किया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि लगातार एक ही फर्म को प्राथमिकता दी जाती रही है। स्थानीय नागरिकों और पार्षदों का आरोप है कि छावनी परिषद ने मेसर्स अग्रवाल एंड कंपनी को मनमाने तरीके से ठेके देकर सफाई व्यवस्था को “ठेका राज” में बदल दिया है।
सफाई व्यवस्था की स्थिति जस की तस
हालांकि छावनी क्षेत्र में रहने वाले नागरिक सालों से गंदगी, सीवर जाम और कूड़ा प्रबंधन की बदहाल व्यवस्था की शिकायत करते आ रहे हैं। इसके बावजूद बार-बार उसी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपे जाने से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या परिषद भ्रष्टाचार या भाई-भतीजावाद के आधार पर ठेके दे रही है?
पारदर्शिता पर सवाल
सामाजिक संगठनों और स्थानीय पार्षदों ने इस पर जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि पिछले 19 वर्षों से एक ही कंपनी को ठेका मिल रहा है तो यह प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया (टेंडरिंग सिस्टम) की मूल भावना के खिलाफ है। कई बार नई कंपनियों ने आवेदन करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें तकनीकी कारणों या अन्य बहानों से बाहर कर दिया गया।
परिषद का पक्ष
इस मामले पर छावनी परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सफाई देते हुए कहा:
“हम हर वर्ष टेंडर प्रक्रिया के तहत ही कंपनी का चयन करते हैं। यदि कोई एक कंपनी पात्रता और अनुभव के आधार पर लगातार चयनित होती है, तो इसमें कोई नियमविरुद्ध बात नहीं है। फिर भी यदि किसी को आपत्ति है तो वह लिखित में शिकायत दे सकता है।”
नागरिकों की नाराजगी
छावनी क्षेत्र के निवासी इस स्थिति से नाराज और हताश हैं। एक निवासी ने कहा:
“सड़कें गंदी रहती हैं, कूड़ेदान समय से खाली नहीं होते और नालियों की सफाई भी बेहद खराब है। अगर काम का स्तर ऐसा ही रहना है तो हर साल नया ठेका क्यों दिया जाता है और अगर दिया जाता है तो एक ही कंपनी को क्यों?”