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राशन माफिया से सांठगांठ के आरोपों में घिरीं महिला पीसीएस अधिकारी सुशीला अग्रवाल के खिलाफ जांच तेज, खेरागढ़ में कोटेदारों के बयान दर्ज

 

राशन माफिया से मिलीभगत और गाड़ी छुड़वाने के प्रयास जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहीं महिला पीसीएस अधिकारी एवं पूर्व एडीएम (नागरिक आपूर्ति) सुशीला अग्रवाल के खिलाफ जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। इस मामले में गठित उच्च स्तरीय जांच टीम ने खेरागढ़ तहसील में पहुंचकर कोटेदारों के बयान दर्ज किए और कई अहम दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया है।

क्या हैं आरोप?

सुशीला अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राशन माफियाओं से सांठगांठ कर उनके खिलाफ कार्रवाई रोकने की कोशिश की थी। विशेषकर एक प्रकरण में, जब खाद्यान्न से लदी एक संदिग्ध गाड़ी को प्रशासन ने पकड़ा था, तो उसे छुड़वाने के लिए कथित रूप से दबाव डाला गया। आरोपों के मुताबिक, इस गाड़ी को छुड़वाने की प्रक्रिया में सुशीला अग्रवाल की भूमिका संदिग्ध रही, जिसे अब जांच टीम गंभीरता से परख रही है।

जांच टीम ने की सघन कार्रवाई

जांच के तहत खेरागढ़ क्षेत्र में पहुंची उच्च स्तरीय टीम ने वहां के कई कोटेदारों से पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, टीम ने कोटेदारों से यह जानने की कोशिश की कि वितरण प्रणाली में किसी तरह की अनियमितता तो नहीं बरती गई, और क्या किसी प्रकार का राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव उन पर डाला गया था।

टीम ने गाड़ी छुड़वाने से संबंधित फाइल, चालान, स्टॉक रजिस्टर, वितरण सूची और अन्य दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं, जिनकी गहन जांच की जा रही है।

गंभीर हो सकता है मामला

सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में कुछ तथ्य ऐसे सामने आए हैं, जो महिला अधिकारी की भूमिका को संदेह के घेरे में लाते हैं। यदि जांच में आरोपों की पुष्टि होती है, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी संभव है।

प्रशासन सख्त रवैये में

जिलाधिकारी कार्यालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शासन के निर्देश पर जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।

निष्कर्ष