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निजी सचिव पर महिला कर्मचारी से छेड़खानी का आरोप, मंत्री ने दिलाई तुरंत गिरफ्तारी

 

राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित समाज कल्याण विभाग मुख्यालय में एक महिला कर्मचारी के साथ छेड़खानी और धमकाने का मामला सामने आया है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि विभाग में तैनात मंत्री के निजी सचिव जय किशन सिंह ने उसके साथ अशोभनीय व्यवहार किया। पीड़िता की शिकायत पर समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने तत्काल संज्ञान लेते हुए गोमतीनगर पुलिस को मौके पर बुलाया और आरोपित निजी सचिव को गिरफ्तार करवा दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़िता समाज कल्याण विभाग में बीते कई वर्षों से आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत है। वह विभागीय कार्यों को गंभीरता से निभा रही थीं, लेकिन उसी विभाग में कार्यरत निजी सचिव जय किशन सिंह ने उनके साथ आपत्तिजनक हरकत की। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो आरोपी ने उसे डरा-धमकाकर चुप कराने की कोशिश की।

घटना के बाद पीड़िता ने साहस दिखाते हुए पूरे मामले की लिखित शिकायत विभागीय मंत्री असीम अरुण को सौंपी। मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती और तत्काल गोमतीनगर पुलिस को बुलाकर आरोपी जय किशन सिंह को हिरासत में दिलवा दिया।

सूत्रों के मुताबिक, मंत्री असीम अरुण का रुख इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट रहा। उन्होंने कहा कि विभाग में कार्यरत किसी भी महिला कर्मचारी के साथ अभद्र व्यवहार या असम्मान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि समाज कल्याण विभाग में काम करने वाली हर महिला की सुरक्षा और गरिमा को प्राथमिकता दी जाएगी।

पुलिस ने महिला कर्मचारी की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज कर ली है और आरोपी से पूछताछ की जा रही है। साथ ही, विभागीय स्तर पर भी जांच समिति गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

इस घटना के बाद विभाग में कार्यरत अन्य महिला कर्मचारियों के बीच भय और नाराजगी का माहौल देखा गया। कई महिला कर्मचारियों ने यह मांग भी की है कि विभाग में एक मजबूत महिला सुरक्षा तंत्र बनाया जाए और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की शिकायतों को प्राथमिकता पर सुना जाए।

यह मामला यह भी दर्शाता है कि यदि पीड़ित महिलाएं समय रहते आवाज उठाएं और प्रशासनिक अधिकारी तत्परता दिखाएं, तो पीड़ितों को न्याय मिल सकता है। समाज कल्याण मंत्री की संवेदनशीलता और तत्पर कार्रवाई से यह संकेत जरूर गया है कि सरकारी दफ्तरों में कार्यरत महिलाओं की गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं होगा।