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सियासी दलों की तैयारी तेज, सपा ने झोंकी पूरी ताकत, ‘पीडीए’ फार्मूले पर फोकस

 

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव को 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। सपा ने भी पंचायत चुनाव में अपनी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पंचायत चुनाव को 2027 का लिटमस टेस्ट मानकर सियासी शतरंज बिछानी शुरू कर दी है और 2024 के अपने जीत के फॉर्मूले 'पीडीए' को एक बार फिर आजमाने की योजना बनाई है। अखिलेश यादव ने पहले ही अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव की हर राजनीतिक गतिविधि पर नजर रखने का आदेश दिया था।

अब समाजवादी पार्टी ने भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के हस्ताक्षर वाले पीडीए के पर्चे गांव-गांव भेजे जा रहे हैं। इसमें समाजवादी सरकारों की उपलब्धियां होंगी। साथ ही पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों (पीडीए) से अपनी एकता मजबूत करने की अपील भी की जाएगी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार काफी बढ़ गए हैं। इसलिए हर बूथ तक पीडीए के पर्चे पहुंचाने की योजना पर काम किया जा रहा है। सभी जिला और शहर इकाइयों को चौपाल आयोजित कर पीडीए के कागजातों पर चर्चा शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। कई जिलों में यह काम शुरू भी हो चुका है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार का भ्रष्टाचार और लापरवाही जनता के लिए जानलेवा साबित हो रही है। बरसात शुरू होते ही नाले-नालियाँ उफान पर हैं। जल निकासी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। शहरों में गंदगी और कूड़े के ढेर लगे हैं। भाजपा की ट्रिपल इंजन सरकार पूरी तरह विफल हो गई है।

अखिलेश यादव ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि काशी, गोरखपुर और लखनऊ से लेकर कानपुर और झांसी तक, हर जगह यही स्थिति है। वर्षों से नगर निगमों की सत्ता पर काबिज भाजपा जनता को बुनियादी सुविधाएँ और स्वच्छता भी नहीं दे पा रही है। नालों और सीवरों की सफाई के बजट का बंदरबांट हो रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार को बारिश को गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार और प्रशासन के प्रयासों से दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है। आम लोग सरकार की कुव्यवस्था का शिकार हो रहे हैं।