प्रशांत किशोर ने प्रेस वार्ता में सत्ता पक्ष और विपक्ष पर बोला हमला, कहा – “बिहार को बदलाव की जरूरत”
बिहार में राजनीतिक चेतना और परिवर्तन की अलख जगा रहे जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर बुधवार को अपनी बिहार बदलाव यात्रा के तहत एक बार फिर जनता से सीधे संवाद में नजर आए। इस क्रम में उन्होंने एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था पर तीखा हमला बोला।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार की मौजूदा सत्ता हो या विपक्ष, दोनों ही जनता को सिर्फ गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों से प्रदेश की सत्ता में चंद चेहरे और वही वादे दोहराए जा रहे हैं, लेकिन आज भी बेरोजगारी, शिक्षा की बदहाली, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, भ्रष्टाचार और पलायन जैसे गंभीर मुद्दे जस के तस हैं।
“सत्ता और विपक्ष दोनों डर की राजनीति कर रहे हैं”
प्रेस वार्ता के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा,
“आज बिहार में सत्ता पक्ष राजद का डर दिखाकर वोट मांगता है और विपक्ष भाजपा-जदयू के डर का हवाला देता है। दोनों पक्ष जनता की समस्याओं से मुंह मोड़कर केवल सत्ता के लिए लड़ रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि जनता को जाति और धर्म के नाम पर बांटकर नेताओं ने अपने राजनीतिक हित साधे हैं। अब समय आ गया है कि बिहार की जनता इन बातों को समझे और जवाबदेही की राजनीति को मौका दे।
युवाओं को बदलाव की धुरी बताया
प्रशांत किशोर ने युवाओं से विशेष रूप से अपील करते हुए कहा कि बिहार का भविष्य तभी बदलेगा जब युवा राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। उन्होंने कहा कि आज युवा बेरोजगारी से त्रस्त है, लेकिन राजनीतिक दल सिर्फ भावनात्मक मुद्दों में उलझाकर उसे गुमराह कर रहे हैं।
जनता से जुड़कर बना रहे हैं जनसुनवाई मॉडल
जन सुराज अभियान के तहत प्रशांत किशोर अब तक सैकड़ों पंचायतों, गांवों और कस्बों में पहुंचकर लोगों से सीधा संवाद कर चुके हैं। वे प्रत्येक स्थान पर जनसुनवाई और जन संवाद के जरिए स्थानीय समस्याओं को सुनते हैं और उनसे संभावित समाधान पर चर्चा करते हैं। उनका मानना है कि बिहार को ऊपर से नहीं, नीचे से—गांव और पंचायत स्तर से सुधार की जरूरत है।
बदलाव की ओर जन आंदोलन
प्रशांत किशोर ने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि जन आंदोलन है, जो बिहार को उसकी वास्तविक ताकत—जनता की आवाज—से जोड़ने का काम कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि जनता एकजुट होकर सही नेतृत्व चुने, तो बिहार को विकसित राज्यों की कतार में लाया जा सकता है।